अपने किरदार के साथ न्याय करने के लिए ये एक्टर सच में गए थे जेल…
बॉलीवुड: जेल और फिल्मी सितारों का रिश्ता नया नहीं है। जेल से अभिनेता बलराज साहनी का भी रिश्ता रहा है। यह जानना दिलचस्प रहेगा कि बलराज की जेल यात्रा क्यों हुई।
दरअसल, के. आसिफ जेलर के रोल को प्रामाणिक बनाना चाहते थे, आसिफ ने शासन से इस बात की स्वीकृति हासिल कर ली कि उन्हें और जेलर का रोल निभाने वाले अभिनेता को रोज थोड़ा समय जेल में बिताने का मौका दिया जाए।
बाद में हकीकत में भी बलराज को जेल जाना पड़ा। बलराज साहनी की गिनती बेहद प्रतिभाशाली एक्टर्स में से एक होती है। उनका असली नाम युद्धिष्ठिर साहनी है। बलराज साहनी की पुण्यतिथि पर जानते हैं उनसे जुड़ी खास बातें।
1 मई 1913 को ब्रिटिश इंडिया के रावलपिंडी में जन्मे बलराज साहनी ने उस दौर में इंग्लिश लिटरेचर से मास्टर डिग्री की। उन्होंने लाहौर यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की थी। 13 अप्रैल 1973 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। दिलीप के कहने पर के. आसिफ ने बलराज को फिल्म `हलचल’ में एक अहम रोल दिया। वो फिल्म में जेलर बने। के. आसिफ जेलर के रोल को प्रामाणिक बनाना चाहते थे, इसके लिए वे कुछ नेताओं और फिर जेल प्रशासन से मिले।
इंडोनेशिया में आया भूकंप, रिक्टर स्केल पर तीव्रता 7, सुनामी की चेतावनी
आसिफ ने शासन से इस बात की स्वीकृति हासिल कर ली कि उन्हें और जेलर का रोल निभाने वाले अभिनेता को रोज थोड़ा समय जेल में बिताने का मौका दिया जाए।
बलराज साहनी भी चाहते थे कि उनके रोल में जरा सा भी झोल न रहे, इसके लिए वो उत्साहित हो कर आसिफ के साथ आर्थर रोड जेल पहुंचे। जेलर ने बलराज और आसिफ को बैरक दिखाई, कैदियों का रहन सहन दिखाया और जेल मैनुअल के बारे में जानकारी दी। ये बात 1949 की है। संतोष के साथ बलराज की शादी को महज 15 दिन हुए थे।
संतोष और बलराज उन दिनों बलवंत गार्गी के लिखे नाटक `सिग्नलमैन’ की तैयारियों में भी समय दे रहे थे। इसका निर्देशन खुद बलराज साहनी कर रहे थे। रिहर्सल के दौरान उन लोगों को एक दिन खबर मिली की परेल से कम्युनिस्ट पार्टी का जुलूस निकलने वाला है। वामपंथी विचारधारा के कट्टर समर्थक बलराज अपनी पत्नी के साथ उस जुलूस में शामिल हुए।
जुलूस के कुछ दूर चलने के बाद हिंसा शुरू हो गई। कई लोगों के साथ बलराज साहनी भी गिरफ्तार कर लिए गए। उन्हें बरेली जेल भेज दिया गया। दो महीने वहां रहने के बाद उन्हें जेल की ए क्लास श्रेणी मिल गई और फिर मुंबई की आर्थर रोड जेल भेज दिया गया।
आर्थर रोड जेल के जेलर की नजर बलराज साहनी पर पड़ी तो वो उन्हें बहुत गौर से देखते हुए बोले मैंने तुम्हें कहीं देखा है। बलराज साहनी ने उन्हें यकीन दिलाया कि उन्हें कोई गलतफहमी हुई है। एक दिन जेलर ने बलराज साहनी को उनकी बैरक से अपने कमरे में बुलवाया। जब बलराज पहुंचे, तो वहीं बैठे जेलर और के.आसिफ उन्हें देख कर जोर से हंसे। अब जेलर की समझ में आया कि उन्होंने बलराज को पहले कहां देखा था।
के. आसिफ उस समय अपने साथ पुलिस कमिश्नर का एक फरमान ले कर आए थे कि जिस दिन शूटिंग के लिए बलराज साहनी की जरूरत पड़े, उन्हें पुलिस हिरासत में जेल से जाने की इजाजत दी जाए। जेल में सबको बलराज साहनी के बारे में पता चल गया कि वो फिल्म में काम कर रहे हैं। जिस दिन वो शूटिंग के लिए तैयार हो रहे होते, जेल के कैदी उनसे तरह-तरह की फरमाइशें करने लगते।
जिनमें शामिल होता दांत का मंजन, खुशबूदार तेल, बीड़ी, खास ब्रांड की सिगरेट और दिलीप कुमार और नरगिस की तस्वीर। इन सबकी सूची बलराज साहनी जेब में डाल कर स्टूडियो जाते और के. आसिफ उस सूची को अपने सहायक के हवाले कर देते। शाम को जब बलराज वापस जेल लौटते तो सारा सामान उनके हवाले कर दिया जाता। बलराज ने करीब तीन महीने जेल में रह कर ही फिल्म `हलचल’ की शूटिंग में हिस्सा लिया।