अपनी ‘एंड टु एंड एन्क्रिप्शन’ वाली प्राइवेसी के लिए मशहूर WhatsApp, क्या यही फीचर बैन हो जायेगा ?

अमेरिकी मैगजीन Politico की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी ट्रंप सरकार एंड टु एंड एन्क्रिप्शन को बैन करने की सोच रही है. गौरतलब है कि दुनिया का सबसे ज्यादा यूज किया जाने वाला इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप WhatsApp इस एन्क्रिप्शन पर बेस्ड है.

इसके अलावा ऐपल के मैसेज और फेस टाइम भी एंड टु एंड एन्क्रिप्शन आधारित हैं. दूसरे सिक्योर ऐप्स जैसे Signal भी इसका यूज करते हैं.

एंड टु एंड एन्क्रिप्शन को साधारण शब्दों में समझें, तो यह एक तरह का एन्क्रिप्शन सिस्टम है जिसके तहत की गई चैटिंग में सिर्फ सेंडर और रिसीवर ही मैसेज पढ़ सकते हैं.

इसके तहत न तो कंपनी और न ही किसी देश की कोई कानून एजेंसी उस मैसेज को पढ़ सकती है. प्राइवेसी के लिए ये दुनिया भर में काफी पसंद किया जाता है, लेकिन कुछ देशों में इस पर आपत्ति जताई जाती है.

Politico की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी ऑफिशियल्स संभावित एन्क्रिप्शन बैन को लेकर बातचीत कर रहे हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन हाल ही में इस एन्क्रिप्शन सिस्टम को लेकर डिस्कस करने के लिए मिले हैं.

 

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इसके साथ यह भी बताया जा रहा है कि नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की मीटिंग में भी एंड टु एंड एन्क्रिप्शन को लेकर बातचीत की गई है और यह मुख्य फोकस भी रहा है.

हालांकि अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है और अभी इस बात को लेकर बातचीत जारी है कि एंड टु एंड एन्क्रिप्शन को बैन किया जाए या फिर इसमें बदलाव किया जाए.

आपको बता दें अमेरिकी प्रेसिडेंट बनने से पहले डोनल्ड ट्रंप ने ऐपल की आलोचना की थी. इसकी वजह ऐपल द्वारा सैन बर्नाडिनो के एक शूटर का आईफोन अनलॉक न करने का फैसला था.

ऐपल ने यूजर की प्राइवेसी को लेकर अपनी पॉलिसी का हावाला दे कर iPhone को अनलॉक करने से साफ मना कर दिया था. हालांकि बाद में FBI ने एक सिक्योरिटी फर्म को लगभग 1 मिलियन डॉलर दे कर iPhone अनलॉक कराया था.

रिपोर्ट के मुताबिक FBI के इस कदम के बाद ऐपल ने उस खामी को भी दूर किया जिसका सहारा लेकर FBI ने एक सिक्योरिटी फर्म से आईफोन अनलॉक कराया था.

अगर एंड टु एंड एन्क्रिप्शन हटाया जाता है तो न सिर्फ अमेरिका बल्कि भारत में भी असर पड़ेगा. WhatsApp के यूजर्स सबसे ज्यादा भारत मे हैं और वॉट्सऐप भी एंड टु एंड एन्क्रिप्शन को यूज करता है.

हाल ही में वॉट्सऐप के एक ऑफिशियल ने कहा था कि WhatsApp में अगर एंड टु एंड एन्क्रिप्शन न हो तो इसकी पहचान ही खत्म हो जाएगी.

देखना होगा इस मामले पर ट्रंप सरकार क्या फैसला लेती है और टेक कंपनियां इस पर कैसे रिएक्ट करती हैं.

 

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