‘अतुल्य भारत’ महोत्सव में नजर आई भारतीय संस्कृति की विविध झलकियाँ

नई दिल्ली| दिल्ली के राजीव चौक स्थित सेंट्रल पार्क में 5 दिवसीय ‘अतुल्य भारत’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। महोत्सव में भारतीय संस्कृति की विविध विधाएं प्रस्तुत की गईं। इनमें प्रस्तुतियां शास्त्रीय और लोक नृत्य, संगीत, भारतीय व्यंजन और चित्रकला पर शामिल थीं।

'अतुल्य भारत' महोत्सव

प्रथम दिन कार्यक्रम की शुरुआत हैंडलूम हाउस, जनपथ में स्थित चित्रकला शिविर एवं शिल्प मेला हैंडलूम हाट का आयोजन किया गया जिसमें देश के विभिन्न विभिन्न राज्यों के लोगों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में दिल्ली एनसीआर के 20 चित्रकार मौजूद रहे।

सभी चित्रकारों ने देश मे अतुल्य भारत के ऊपर अपनी चित्रकारी प्रस्तुत की। साथ ही इसकार्यक्रम में शिल्पकला प्रदर्शनी का मेला भी लगाया गया। इस मेले में देश भर के कई राज्यों ने हिस्सा लिया और तरह तरह की शिल्पकला का प्रदर्शन किया।

दूसरे दिन सबसे पहले मुंबई के शास्त्रीय गायक उस्ताद गुलाम अब्बास ने शास्त्रीय संगीत जैसे खयाल, तराना, और ठुमरी प्रस्तुत की। अतुल्य भारत कार्यक्रम के जरिये उस्ताद गुलाम अब्बास ने संदेश दिया कि कला के माध्यम से ही पूरा संसार भारत को जानता है, और संगीत ही हमारी संस्कृति है। इसके बाद विदुषी कस्तूरी पटनायक द्वारा ओडिसी नृत्य प्रस्तुतकिया गया।

विदुषी कस्तूरी पटनायक ओडिसी नृत्य की एक प्रसिद्ध नृत्यांगना है जिन्होंने देश विदेश में कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। अतुल्य भारत कार्यक्रम कोएक त्योहार बताते हुए विदुषी कस्तूरी पटनायक ने देश से गुजारिश की की देश में ऐसे कार्यक्रम निरंतर होने चाहिए, ताकि देश को विभिन्न विभिन्न लोक नृत्यों के बारे में पता चल सके।
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इसके तुरंत बाद पटियाला की शक्ति वर्धन द्वारा कथक फ्यूजन पेश किया गया जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। इसके बाद दिल्ली की नृत्यांगना सुश्री रंजना गौहर ने चित्रांगदा नृत्य कर दर्शकों का मन मोह लिया। चित्रांगदा एक ओडिसी नृत्य है जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया।

तीसरे दिन कार्यक्रम की शुरुआत जुगलबंदी से हुई जिसमें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित दिल्ली के चेतन जोशी ने बांसुरी, पखावज और तलबा के साथ प्रस्तुति दी। चेतन जोशी ने राग बिहग के साथ अपनी प्रस्तुति शुरू की, जो शाम के व़क्त सुनी जाती है और इसके बाद उन्होंने बनारसी कजरी से सभी दर्शकों का मन मोह लिया।

इसके बाद दिल्ली की मर्यादा कुलश्रेष्ठ द्वारा सूफी गायन पर आधारित कथक नृत्य किया गया, जिसे दर्शकों ने बहुत पसंद किया। अपनी कला के दौरान मर्यादा ने दर्शार्या कि सभी धर्म एक समान हैं और हर एक भारतीय नागरिक सभी धर्मों की इज्जत करता है।

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