अगरबत्ती से मिलेगा अब लोगो को रोजगार , जाने कैसे…

देश में मंदी का दूर इतना चल रहा हैं देखा जाये तो कारोबारी दुनिया भी मंदी में डूब रही रही हैं। वहीं देखा जाये तो भारत सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। वहीं बेरोजारी भी बहुत बढ़ रही हैं। लेकिन कही न खी कारोबारियों कि उम्मीद हैं कि ये मंदी का जल्द ही दूर होगा।
बतादें कि केंद्र सरकार के फैसले से अगरबत्ती कारोबार की उखड़ती सांसों को दम मिलने की उम्मीद जगी है। कारोबारी नए सिरे से योजना बनाने लगे हैं। कारीगरों को उम्मीद है कि काम मिलेगा तो ठंडे पड़ते चूल्हे में आंच भी बढ़ेगी। जिले में 50 से ज्यादा कारखाने अगरबत्ती बनाने के हैं। इनमें काम सिकुड़ रहा है। तकरीबन 15 से 20 हजार लोग काम में लगे थे।
शहर से सटे गांवों को भी रोजगार मिला हुआ था। वियतनाम और  चीन के दखल से यहां कारोबार धीमा पड़ता चला गया। अब केंद्र सरकार ने वियतनाम और चीन से आ रहीं सादी अगरबत्ती (बिना सुगंध वाली) पर रोक लगा दी है।

दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, तमिलनाडु, मैसूर, बंगलूरू, इंदौर के साथ ही यूपी के कन्नौज, कानपुर, गया, बनारस, गोरखपुर और अलीगढ़ अगरबत्ती के कारोबार में अग्रणी हैं। एक अनुमान के मुताबिक देश में करीब छह हजार करोड़ रुपये का अगरबत्ती कारोबार है। इसे पिछले चार सालों में वियतनाम और चीन से कड़ी टक्कर मिली है।

सादी अगरबत्ती और बंबू स्टिक का 800 करोड़ का सालाना कारोबार इन दोनों देशों से हो रहा था। यानी करीब 70-75 फीसदी आवश्यकता इन दोनों देशों से पूरी हो रही थी। अगरबत्ती कारोबार से जुड़े लोगों के मुताबिक अकेले कन्नौज में इन चार सालों में करीब 70 फीसदी कारोबार घट गया। वहीं कई फर्मों का 20 लाख रुपये तक का कारोबार घटकर दो लाख पर आ गया।

दरअसल केंद्र सरकार के इस फैसले से इस कारोबार को फिर से ताकत मिलेगी। नोटिफिकेशन में अभी रिस्ट्रिक्शन लिखा है। जरूरत बैन करने की है। सरकार आगे चलकर इसे बैन कर देती है तो कारोबार को और राहत मिलेगी। अभी भी डीजीएफटी लाइसेंस पर इन देशों से अगरबत्ती आयात की जा सकती है।

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