आज है अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस, समाज में व्याप्त भ्रांतियां बनती हैं मरीज की मौत का कारण

आज अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस है। चिकित्सीय विज्ञान में मिर्गी को न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर भी कहा जाता है। भारत में इस बीमारी से करीब सवा करोड़ लोग पीड़ित हैं।

बावजूद इसके मिर्गी को लेकर लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियों के कारण उपचार नहीं मिल पाता। विशेषज्ञों की मानें तो इन्हीं भ्रांतियों की वजह से मिर्गी का मरीज मौत का शिकार हो जाता है।

अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस

अगर वह इन अर्थहीन बातों पर ध्यान न दे तो वह समय पर उपचार ले सकता है।

दिल्ली के सरकारी से लेकर निजी अस्पताल तक में आए दिन इन बीमारियों से ग्रस्त मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इनमें से कुछ ही मरीजों को छोड़ बाकी काफी देरी से इलाज लेने पहुंच रहे हैं।

दिल्ली सरकार के जीबी पंत अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ. दलजीत सिंह का कहना है कि मिर्गी से पीड़ित मरीजों का सामाजिक बहिष्कार नहीं किया जाना चाहिए।

गलत जानकारियों के कारण सैकड़ों मरीज कष्ट भोग रहे हैं।

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जागरूकता की कमी इन मरीजों की उपचार से जुड़ी जटिलताओं को बढ़ा रही है।

वहीं अग्रसेन अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. आशुतोष गुप्ता का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि रोगियों की परेशानियों को रेखांकित कर उन्हें उपचार दिया जा सके।

बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता लाना बेहद जरूरी है।

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