एक भी दिन स्कूल नहीं गए लेकिन फिर भी प्राप्त की पीएचडी की डीग्री

Captureहलधर नाग
निश्चित तौर पर आप लोगों में से बहुत कम लोग इन्हें जानते होंगे। मैं भी इन्हें तब तक नहीं जानता था जब तक ये पद्मश्री से अलंकृत नहीं हो गये।आपको मालूम होगा कि पिछले दिनों राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पदमश्री और पदमभूषण से कुछ हस्तियों को नवाजा।
इन्हीं हस्तियों में से एक थे ओडिशा के कवि 66 वर्षीय “हलधर नाग” जिनके बारे में न तो ज्यादा टीवी पर आया और न ही आपको सोशल मीडिया पर ज्यादा कुछ पढ़ने को मिला।
हलधर नाग एक गरीब परिवार से आते हैं और उन्होंने तीसरी कक्षा में ही पढ़ाई छोड़ दी थी।
वह मुश्किल से स्कूल गए लेकिन आप यकीन नहीं करेंगे कि वह आज पीएचडी करने वाले छात्रों के सबजेक्ट की लिस्ट में हमेशा शामिल रहते हैं।
उनके नाम पर पांच थिसिस दर्ज हैं और जल्द ही वह ओड़िशा स्थित संबलपुर यूनिवर्सिटी के सेलेबस का हिस्सा होंगे।
हलधर नाग को अपनी सारी कविताएं और अब तक लिखे गए 20 महाकाव्य कंठस्थ हैं। हमेशा नंगे पैर और मात्र एक धोती तथा बनियान पहनने वाले हलधर नाग के पास कोई डिग्री नहीं है, लेकिन आज उनकी कविताओं पर शोध करके छात्र डिग्री प्राप्त कर रहे हैं।
मूल रूप से कोस्ली भाषा में कविताएं लिखने वाले हलधर नाग 1990 से लेखन कर रहे हैं।
बहरहाल यह सब मैं यहाँ इसलिये शेयर कर रहा हूँ क्योंकि कुछ लोगों को लगता है कि सारा ज्ञान स्कूल की किताबों में ही छुपा रहता है।जो जितनी ज्यादे डिग्रीयां बटोरकर रखे हुये है वह उतना ही बडा ज्ञानी है।कम से कम हलधर नाग जैसे लोग इस मिथक को गलत साबित करने के लिये एक बेहतरीन उदाहरण हैं।क्योंकि जब तुलसी, रहीम और कबीर का उदाहरण दिया जाता था तो वह लोग आधुनिक समय की दुहाई देते थे।अब हलधर नाग तो आज के समय में ही हैं।इसलिये “सिर्फ स्कूल ही ज्ञान प्राप्ति के साधन हैं”, इस मिथक को तोड़ने के लिये इनसे बेहतरीन उदाहरण कोई और नहीं हो सकता।

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