एकसाथ 20 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेज कर इसरो ने रचा इतिहास
चेन्नई| भारतीय अंतरिक्ष संगठन (इसरो) ने आज पीएसएलवी C-34 के ज़रिये 20 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेज कर इतिहास रच दिया है| यह सैटेलाइट लांच श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया| कुल 20 उपग्रहों में अमेरिका के 13, भारत के तीन तथा कनाडा, जर्मनी और इंडोनेशिया के चार उपग्रह हैं| इसरो ने पहली बार एक साथ बार 20 सैटेलाइट लॉन्च किये हैं|
सैटेलाइट लांच
इनमें पृथ्वी के अवलोकन से संबंधित 725.5 किलोग्राम का काटरेसैट-2 श्रृंखला का उपग्रह सबसे वजनी है। अन्य 19 उपग्रहों में 560 किलोग्राम के अमेरिका, कनाडा, जर्मनी और इंडोनेशिया के साथ-साथ चेन्नई के सत्यभामा विश्वविद्यालय और पुणे के कॉलेड ऑफ इंजीनियरिंग के दो उपग्रह शामिल हैं। रॉकेट 1,288 किलोग्राम पेलोड के साथ दूसरे लांच पैड से प्रक्षेपित किया गया|
सत्यभामा विश्वविद्यालय का 1.5 किलोग्राम वजनी सत्याभामासैट उपग्रह ग्रीन हाउस गैसों के आंकड़े एकत्र करेगा। वहीं, पुणे का एक किलोग्राम का स्वायन उपग्रह हैम रेडियो कम्युनिटी को संदेश भेजेगा।
इसरो ने पहली बार इस मिशन के तहत एकल रॉकेट से 20 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है। साल 2008 में इसरो ने पीएसएलवी रॉकेट से 10 उपग्रह प्रक्षेपित किए थे।
सैटेलाइट करेंगे जमीन की निगरानी
इस मिशन के तहत कॉर्टोसैट 2 सीरीज का 727.5 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट सबसे ख़ास है| कॉर्टोसैट सैटेलाइट को इसरो ने ही बनाया है| इनका प्रमुख मकसद धरती की हाई रिजॉल्यूशन इमेजरी तैयार करना है|
इतना ही नहीं, कॉर्टोसैट में ऐसे कैमरे लगे हैं जो भारत में जमीन पर होने वाले किसी भी वानस्पातिक या भूगर्भीय बदलाव को बारीकी से पहचान लेंगे|
इस सैटेलाइट से भारत को यह समझना बेहद आसान हो जायेगा कि किस हमारे यहाँ तरह के और कितने जंगल हैं| नदियों के कटाव और पहाड़ों के उत्खनन के बारे में भी यह सटीक जानकारी देगा|
इसरो ने बनाया रिकॉर्ड
कॉर्टोसैट के अलावा पीएसएलवी सी-34 मिशन में 19 सैटेलाइट और लॉन्च हुए हैं| इसरो के लिए इतने सैटेलाइट एक साथ लॉन्च करना अपने आप में रिकॉर्ड है| इससे पहले इसरो 2008 में 10 सैटेलाइट एक साथ लॉन्च किए थे| इसरो अबतक 57 विदेशी सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित कर चुकी है|
पीएसएलवी C-34 मिशन में बाहरी देशों के सैटेलाइट
इस सैटेलाइट लांच में जर्मनी का BIROS, इंडोनेशिया का LAPAN A-3, यूएसए के स्काईसेट GEN 2-1 और 12 DOVE सैटेलाइट, कनाडा के M3MSAT और GHGSAT 3 सैटेलाइट भेजे गये हैं| इनमें यूएसए का स्काईसेट GEN 2-1 गूगल का सैटेलाइट है|
भारत के सैटेलाइट
इस लांचिंग में इसरो के अपने कॉर्टोसैट 2 सीरीज के सैटेलाइट के साथ ही वायुमंडल में होने वाले प्रदूषण के अध्ययन के लिए चेन्नई की एक निजी यूनिवर्सिटी का सत्यभामा सैटेलाइट, पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का स्वयम सैटेलाइट भेजे गये हैं| स्वयंम सैटेलाइट का हैम रेडियो के लिए इस्तेमाल किया जाएगा|