
रिपोर्ट – संजय पुण्डर
हरिद्वार। उत्तराखंड सरकार की और से हरिद्वार की पूर्व सिविल जज दीपाली शर्मा के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लेने के प्रार्थना पत्र को हरिद्वार के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया है हरिद्वार के सामाजिक कार्यकर्ता जेपी बडोनी की आपत्ति पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अरुण कुमार बोहरा ने प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया।
जेपी बडोनी ने खुद इस मामले की पैरवी की क्योंकि किसी भी वकील ने इस मामले में पैरवी करने से इनकार कर दिया था मगर जेपी बडोनी द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समकक्ष पूरी तरह से पैरवी कर प्रार्थना पत्र को खारिज करवा दिया और इस प्रार्थना पत्र के खारिज होने से उत्तराखंड सरकार को भी झटका लगा है।
साल 2018 में हरिद्वार के सिडकुल थाने में हाईकोर्ट के आदेश पर तत्कालीन सिविल जज दीपाली शर्मा के खिलाफ नाबालिग किशोरी के साथ मारपीट और उत्पीड़न के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था किशोरी के मेडिकल परीक्षण में चोट के निशान आने के तुरंत बाद ही हाई कोर्ट द्वारा दीपाली शर्मा का निलंबन भी किया गया था।
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कुछ दिन पूर्व ही राज्य सरकार ने मुकदमा वापसी की संस्तुति कर दी और एक सहायक अभियोजन अधिकारी की तरफ से हरिद्वार सीजेएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया इसकी भनक लगते ही हरिद्वार निवासी समाजसेवी जेपी बडोनी ने इस प्रार्थना पत्र के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में आपत्ति दाखिल कर दी ।
मामले की पैरवी करने वाले समाजसेवी जेपी बडोनी का कहना है की हरिद्वार सीजेएम कोर्ट ने आदेश दिया है कि राज्य सरकार द्वारा हरिद्वार सीजीएम पद पर तैनात दीपाली शर्मा के घर पर काम करने वाली नाबालिक बच्ची के साथ प्रताड़ना की गई थी इसको लेकर राज्य सरकार मुकदमा वापसी लेना चाह रही थी मगर मेरे द्वारा इस मामले में सीजेएम कोर्ट में पैरवी की गई।
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क्योंकि यह काफी संवेदनशील मामला था और इस मामले को सरकार द्वारा खत्म किया जा रहा था हमने सीजीएम कोर्ट में कहा है कि हमें इस मामले मैं भागीदार बनाया जाए ताकि हम सरकार के फैसले के विरुद्ध तथ्य कोर्ट के सामने रख सके।
मामला एक जज से जुड़ा होने के कारण बडोनी को पैरवी के लिए किसी भी वकील ने हामी नही भरी जेपी बडोनी ने स्वम् प्रार्थना पत्र दाखिल किया और कोर्ट को बताया कि सरकार इस मुकदमे को जनहित का बताकर वापस करवाना चाहती है ये एक बड़ा अपराध है और हाईकोर्ट के आदेश पर दर्ज मुकदमा वापस लेने का अधिकार सरकार को नही है मामले की सुनवाई करते हुए सीजेएम ने सरकार के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया