मप्र : शहडोल उपचुनाव के लिए सक्रियता बढ़ी
भोपाल| मध्य प्रदेश के शहडोल संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव की तारीख का भले ही अभी ऐलान न हुआ हो, मगर सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है। भाजपा जहां राज्य और केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिनाने में जुटी है, वहीं कांग्रेस के नेता केंद्र की वादा खिलाफी से लेकर व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) व सिंहस्थ घोटाले का चिट्ठा खोल रहे हैं।
शहडोल संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव
भाजपा के सांसद दलपत सिंह परस्ते के निधन के चलते शहडोल संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव होना है। यह अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित संसदीय क्षेत्र है, लिहाजा भाजपा यहां अपना कब्जा बरकरार रखना चाह रही है, तो दूसरी ओर कांग्रेस झाबुआ-रतलाम उपचुनाव के नतीजों को दोहराने की जुगत में है। झाबुआ-रतलाम उपचुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को शिकस्त देकर अपना कब्जा जमाया था।
शहडोल ऐसा संसदीय क्षेत्र है, जो अनुसूचित जाति बहुल तो है, पर किसी एक दल का गढ़ कभी नहीं बन पाया। यहां कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीत मिली तो भाजपा के उम्मीदवार भी जीते हैं। इसके अलावा सोशलिस्ट पार्टी, निर्दलीय, लोकदल और जनता दल के उम्मीदवारों ने भी जीत हासिल की है। यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही अपनी-अपनी जीत की संभावनाएं देखकर चल रहे हैं।
भाजपा के सांसद दलपत सिंह परस्ते के निधन से शहडोल संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव होना है, लिहाजा भाजपा को लगता है कि वह पिछले चुनाव के नतीजों को एक बार फिर दोहरा सकती है। यही कारण है कि राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार इस इलाके का कई बार दौरा कर चुके हैं। इन दौरों के दौरान उन्होंने जहां अपनी सरकार और केंद्र की उपलब्धियों का बखान करते हुए कई योजनाओं की शुरुआत की है, तो यह भरोसा भी दिलाया है कि उनकी सरकार इस इलाके के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।
भाजपा के सामने अनुसूचित जनजाति क्षेत्र झाबुआ-रतलाम में हुए उपचुनाव का अनुभव अच्छा नहीं रहा है, लिहाजा वह इस क्षेत्र के उपचुनाव में किसी भी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती। इस चुनाव में भी अन्य चुनावों की तरह भाजपा मुख्यमंत्री शिवराज को ही सामने रखकर चल रही है और वह उनके चेहरे के सहारे ही जीत की वैतरणी पार करना चाह रही है।
दूसरी ओर कांग्रेस ने भी इस संसदीय क्षेत्र पर अपना कब्जा जमाने के लिए गोलबंदी तेज कर दी है। कांग्रेस के प्रमुख नेता जिनमें प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री व आदिवासियों के नेता कांतिलाल भूरिया यहां के गांव-गांव की खाक छानने में लगे हैं। कांग्रेस नेताओं ने एक साथ इस क्षेत्र का दौरा कर यह बताने की कोशिश की है कि कांग्रेस में किसी तरह की गुटबाजी नहीं है।
अरुण यादव ने सभाओं में खुले तौर पर केंद्र की सरकार पर जनता से वादाखिलाफी करने तो प्रदेश सरकार पर व्यापमं और सिंहस्थ घोटालों के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विदेशों की यात्रा कर रहे हैं और राज्य का किसान बेहाल है। उसकी पीड़ा को कोई सुनने वाला नहीं है।
दोनों ही दलों में अभी उम्मीदवारों के नामों पर मंथन चल रहा है और उन्हें ऐसे उम्मीदवार की तलाश है, जो विरोधी के मुकाबले सशक्त और जीत की गारंटी देने वाला हो।
वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया का कहना है कि शहडोल उपचुनाव के नतीजे भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के राजनीतिक भविष्य को तय करने वाले होंगे, लिहाजा दोनों ही इस चुनाव में किसी तरह का जोखिम उठाने के मूड में नहीं है। यही कारण है कि उन्होंने तारीख के एलान से पहले ही अपना मैदान और मोर्चे संभाल लिए हैं।