
नई दिल्ली। राजनीतिक दलों के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोट बैन के खिलाफ बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। यह मुद्दा अब राष्ट्रपति के पास जाएगा। तमाम दिग्गज नेताओं को उम्मीद है कि राष्ट्रपति इस मामले में दखल देंगे और नोट बैन की व्यवस्था खत्म कर देंगे। लेकिन शायद सभी दल ये भूल गए हैं कि नोट बैन को खुद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने समर्थन दिया था।
दिल्ली का हाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश कर राष्ट्रपति से नोटबंदी खारिज करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि कैश का मतलब सिर्फ दो नंबर का पैसा नहीं है। मंडी में किसान कैश से ही लेन-देन करता है।
बंगाल की चाल
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी भी 500 और 1000 के नोटों पर लगे बैन को खारीज करने के लिए कल राष्ट्रपति से मिलेंगी।
Delhi: CM Arvind Kejriwal speaking in the Delhi Vidhan Sabha on the issue of #demonetisation pic.twitter.com/jcHv3mAqio
— ANI (@ANI) November 15, 2016
Shiv Sena also assured us to join tomorrows meeting with President over the issue of #demonetisation: West Bengal CM Mamata Banerjee pic.twitter.com/tmteGEEvHc
— ANI (@ANI) November 15, 2016
नोट बंदी के मुद्दे पर अरविंद केजरीवाल के बयान के बाद आम आदमी पार्टी के विधायकों ने मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि ये फैसला पीएम के तानाशाह रवैये को दर्शाता है। और इसे फौरन खारिज कर देना चाहिए। केजरीवाल ने कहा कि काले धन को पकड़े के लिए ये तरीका सही नहीं है। इससे सिर्फ आम जनता को परेशानी हो रही है।
इसके अलावा सपा, बसपा और लेफ्ट पार्टियां भी नोट बैन के खिलाफ हैं। सभी ने राष्ट्रपति के सामने अपनी बात रखने की तैयारी कर ली है। वहीं, भाजपा भी इस मामले में सख्ती बरत रही है। नोट बैन पर भाजपा का रुख बदलने वाला नहीं लग रहा है। सरकार का कहना है कि वह संसद में जवाब देने को तैयार है।