मोदी को मिले ‘नवरत्न’, साकार करेंगे ‘न्यू इंडिया’!

2019नई दिल्ली। बीते एक हफ्ते से जारी 2019 की ‘लड़ाई’ लड़ने वालों को आखिरकार पीएम मोदी ने चुन ही लिया है। पूरी संभावना जताई जा रही इन्हीं ‘नवरत्न’ को आगे कर 2019 लोकसभा की लड़ाई लड़ी जाएगी। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, नरेंद्र मोदी कैबिनेट में शामिल होने वाले नौ मंत्रियों का नाम तय हो गया है। रविवार सुबह साढ़े दस बजे इन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी।

इन नौ मंत्रियों में दो यूपी से और दो मंत्री बिहार से बनाए जा रहे हैं, जबकि, एक-एक मंत्री एमपी, राजस्थान, दिल्ली, कर्नाटक और केरल से होंगे। यूपी से बीजेपी के राज्यसभा सांसद शिवप्रताप शुक्ल को मंत्री बनाया जा रहा है। शिवप्रताप शुक्ल यूपी से बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं और 1989 से लगातार चार बार यूपी विधानसभा के लिए चुने जा चुके हैं। यूपी की बीजेपी सरकार में इस दौरान उन्होंने कैबिनेट मंत्री के तौर पर भी काम किया है।

शिवप्रताप शुक्ल ब्राम्हण समुदाय से आते हैं और पूर्वांचल के इलाके में उनकी पैठ भी है। कलराज मिश्र और महेंद्र नाथ पांडे के इस्तीफे के बाद उनकी भरपाई के तौर पर शिवप्रताप शुक्ल को जगह दी जा रही है।

कलराज मिश्र ने बढ़ती उम्र के आधार पर इस्तीफा दिया है, जबकि महेंद्र नाथ पांडे को यूपी बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया है। ये दोनों नेता भी पूर्वांचल से ही आते हैं।

इसके अलावा यूपी के बागपत से सांसद सत्यपाल सिंह को कैबिनेट में जगह दी जा रही है। सत्यापल सिंह मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर हैं और उनकी योग्यता को देखकर इस बार उनको कैबिनेट में जगह दी जा रही है।

पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर से सांसद जाट समुदाय के संजीव बालियान को कैबिनेट से बाहर करने के बाद उनकी जगह जाट समुदाय से ही आने वाले सत्यपाल सिंह को कैबिनेट में लाया जा रहा है। सत्यपाल सिंह ने लोकसभा चुनाव में बागपत से आरएलडी अध्यक्ष चौधरी अजीत सिंह को हराया था। अब जाकर उन्हें इस बात का ईनाम दिया गया है।

इसके अलावा बिहार के आरा से सांसद राजकुमार सिंह यानी आर के सिंह को कैबिनेट में शामिल किया जा रहा है। 1975 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी आर के सिंह केंद्र में गृह सचिव भी रह चुके हैं। इससे पहले वो गृह मंत्रालय में ही ज्वाइंट सेक्रेटरी और रक्षा मंत्रालय में प्रोडक्शन सेक्रेटरी भी रह चुके हैं।

उनके अनुभव का फायदा लेने की कोशिश हो रही है। राजपूत जाति से आने वाले बिहार के सारण से सांसद राजीव प्रताप रूडी के कैबिनेट से इस्तीफे के बाद आर के सिंह को कैबिनेट में जगह दी गई है। आर के सिंह भी राजपूत जाति से ही हैं। लेकिन, यहां जाति से ज्यादा उनकी काबिलियत को तरजीह दी गई है।

बिहार के बक्सर से सासंद और पार्टी के पुराने नेता अश्विनी चौबे को केंद्र में मंत्री बनाया जा रहा है। फिलहाल बिहार से ब्राम्हण समाज का कोई व्यक्ति मंत्री नहीं था। लेकिन, इस बार अश्विनी चौबे को शामिल कर जातीय समीकरण साधने की कोशिश की गई है।

अश्विनी चौबे सांसद बनने से पहले भागलपुर से लगातार पांच बार विधायक रहे हैं। बिहार में पिछली एनडीए सरकार में आठ सालों तक उनका स्वास्थ्य मंत्रालय समेत कई मंत्रालयों का अनुभव रहा है।

मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ से लोकसभा सांसद वीरेंद्र कुमार को कैबिनेट में शामिल किया जा रहा है। वीरेंद्र कुमार दलित समुदाय से आते हैं। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए इनको कैबिनेट में दूसरे नेताओं पर तरजीह दी गई है।

दिल्ली से हरदीप पुरी का नाम काफी चौंकाने वाला है। 1974 बैच के विदेश सेवा के अधिकारी रहे हरदीप पुरी इस वक्त किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। फिर भी उनके अनुभव को यहां तरजीह दी गई है। दिल्ली से सांसद महेश गिरी और परवेश वर्मा को मंत्री बनाए जाने की अटकलें लग रही थीं।

लेकिन, यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चौंकाने वाला नाम सामने ला दिया है। सिख समुदाय से आने वाले हरदीप पुरी को शामिल कर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश हुई है। हरदीप पुरी संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत और स्थायी प्रतिनिधि रह चुके हैं।

राजस्थान में भी अगले साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होना है। वहां से जोधपुर से सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत को कैबिनेट में शामिल किया गया है। गजेंद्र सिंह शेखावत एक टेक्नोसेवी और नए दौर के सांसद हैं जो कि अपनी लो प्रोफाइल छवि के लिए जाने जाते हैं।

कर्नाटक में भी अगले साल मई में ही विधानसभा चुनाव होने वाला है। लिहाजा कर्नाटक से भी कई नाम चर्चा में थे, लेकिन, बाजी अनंत कुमार हेगड़े के हाथ लगी। हेगड़े उत्तर कन्नड़ से पांचवीं बार लोकसभा सांसद हैं।

इस बार कैबिनेट में केरल से एक मंत्री को जगह दी जा रही है अल्फोंस कन्नथनम को मंत्री बनाया जा रहा है। अल्फोंस कन्नथनम 1979 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं। दिल्ली में डीडीए के चेयरमैन रह चुके अल्फाेंस रिटायरमेंट के बाद केरल से एक बार विधायक भी रह चुके हैं। प्रधानमंत्री की तरफ से उन्हें बाकी लोगों पर तरजीह देकर उनके अनुभव का फायदा लेने की कोशिश की गई है।

दरअसल बीजेपी के एजेंडे में केरल की अहमियत इस वक्त काफी ज्यादा है। अगले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर संघ और बीजेपी ने केरल के लिए बड़ी रणनीति बनाई है। अल्फोंस इसी रणनीति के तहत मंत्री बनाए जा  रहे हैं।

कैबिनेट में शामिल होने वाले सभी नौ मंत्रियों के नामों पर गौर करने से साफ लग रहा है कि इनमें अधिकतर ऐसे प्रोफेशनल्स हैं जिन्होंने पहले सरकार में प्रशासनिक स्तर पर बड़े काम किए हैं। आर के सिंह गृह सचिव रह चुके हैं, सत्यपाल सिंह मुंबई पुलिस कमिश्नर रह चुके हैं, हरदीप पुरी विदेश सेवा में काम कर चुके हैं  और अल्फोंस भी आईएएस अधिकारी रह चुके हैं।

कैबिनेट की इस नई सूची देखकर साफ लग रहा है कि प्रधानमंत्री का भरोसा उन लोगों पर ज्यादा हो रहा है जो अपने करियर में बतौर प्रोफेशनल काम कर चुके हैं। मोदी ‘न्यू इंडिया’ बनाने की बात कर रहे हैं, तो उन्हें इस तरह के प्रोफेशनल लोगों की जरूरत ज्यादा दिख रही है जो बेहतर नतीजे दे सकें।

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