महाभारत और रामायण की यह 10 बातें आपस में मिलती हैं
एजेंसी/ रामायण और महाभारत दो महाग्रंथ हैं और इनके लिखे जाने का समय भी अलग-अलग है। एक ग्रंथ का संबंध त्रेतायुग से है जबकि दूसरे का संबंध द्वापर युग है। लेकिन इन दोनों ग्रंथों में कुछ बातें ऐसी हैं जो काफी समान हैं और विचित्र भी। बस इनमें अंतर है तो पात्र और घटनाओं का।
सबसे पहले हम बात करते हैं महाभारत और रामायण की नायिका की। रामायण की नायिका हैं देवी सीता और महाभारत की द्रौपदी। और इन दोनों के बीच सबसे बड़ी समानता है कि दोनों को लक्ष्मी का अवतार माना जाता है और दोनों ही अयोनिजा हैं यानी दोनों ने ही मां के गर्भ से जन्म नहीं लिया है। देवी सीता भूमि से प्रकट हुई हैं तो द्रौपदी अग्नि से उत्पन्न हुई हैं।
नायिका ही नहीं रामायण और महाभारत के नायक भी दिव्य पुरुष थे। भगवान राम का जन्म पुत्रकामेष्ठी यज्ञ से हुआ था जबकि महाभारत के नायक पांडव देवताओं के वरदान स्वरूप जन्मे थे। महाभारत और रामायण की कथा के अनुसार राम और पांडव दोनों ही अयोनिज थे।
रामायण और महाभारत के नायक की बात करें तो रामायण के नायक भगवान श्री राम को चौदह साल का वनवास मिला था। महाभारत में भी इसी तरह की घटना का उल्लेख मिलता है। महाभारत के नायक पांडवों को द्युत क्रीड़ा में हारने के बाद 13 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष का अज्ञातवास मिला था। यानी इन्हें भी कुल 14 साल तक घर से निकलकर वनवासियों की तरह भटकना पड़ा था।
दोनों महाकाव्यों में नायकों के विवाह में एक बड़ी समानता है। रामायण में भगवान राम को सीता से विवाह के लिए धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाना पड़ा था। हालांकि इस क्रम में धनुष टूट गया था। महाभारत में नायक अर्जुन को द्रौपदी से विवाह करने के लिए धनुष बाण से मछली की आंख भेदना पड़ा था। यहां एक और समानता यह है कि विवाह के समय राम और पांडव दोनों ही राजमहल से बाहर थे। राम ऋषियों की सहायता के लिए वन में थे और पांडव लाक्षागृह से बच निकलने के बाद वन में भटक रहे थे।
महाभारत और रामायण में एक और बड़ी समानता है रामायण में पवन देवता के एक पुत्र हैं जो हनुमान कहलाते हैं और महाभारत में भी पवन देवता के एक पुत्र हैं जो भीम कहलाते हैं। हनुमान और भीम दोनों ही गदा युद्ध में कुशल थे।
रामायण और महाभारत दोनों में ही नायिका अपने पति के साथ वनवास जाती है। वनवास के दौरान सीता का हरण हो जाता है और महाभारत में भी नायिका द्रौपदी का अपहरण हो जाता है लेकिन पांडव द्रौपदी को अपहरणकर्ता जयद्रथ से बचा लेते हैं।
दोनों महाकाव्य में एक समानता यह भी है कि नायकों का अपने भाईयों से स्नेहपूर्ण संबंध है। मां अलग-अलग होने पर भी राम का अपने भाईयों से बहुत मेल था और सभी भाई राम के आज्ञाकारी थे। महाभारत में भी इसी तरह का उल्लेख मिलता है पांडवों की दो मां थी फिर इनमें आपसी स्नेह था और यह अपने बड़े भाई युधिष्ठिर के आज्ञाकारी थे।
महाभारत और रामायण में एक खास समानता यह है कि दोनों में नायिका के कारण युद्ध हुआ। रामायण में देवी सीता का अपहरण करने के अपराध में खलनायक रावण के विरुद्ध युद्ध लड़ा गया। महाभारत में द्रौपदी के अपमान का बदला लेने के लिए पांडवों ने प्रतिज्ञा ली और अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए युद्ध लड़ा गया।
रामयण में उल्लेख मिलता है कि रावण वध के बाद जब भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ तो धर्म का राज स्थापित हुआ जनता सुख-शांति से जीने लगी। महाभारत में भी बताया गया है कि महाभारत युद्ध के बाद जब युधिष्ठिर राजा बने तब धर्म का साम्राज्य कायम हुआ।