भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के राष्ट्रीय अधिवेशन में गरमाया प्रदूषण का विवाद…

नई दिल्ली। दिल्ली का प्रदूषण और पराली जलाने का मामला अब भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति तक पहुंच गया है। यहां राष्ट्रीय अधिवेशन के तहत यह मसला दो दिन तक गरमाया रहा था। इस विषय पर कहा गया कि इस प्रदूषण शहरी है। इस विषय पर पराली का दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति

वहीं, अगर सरकारें इसको ही प्रदूषण की वजह मान रही हैं तो किसानों को महादोषी ठहराने की जगह व्यावहारिक समाधान भी देना चाहिए। दूसरी तरफ अधिवेशन में आठ जनवरी को राष्ट्रीय ग्रामीण बंद का भी ऐलान किया गया।

देशभर के 25 राज्यों के किसान प्रतिनिधियों ने मावलंकर हाल में दो दिन तक किसान और पर्यावरण, संपूर्ण कर्ज माफी, न्यूनतम समर्थन मूल्य, भूमि अधिग्रहण कानून-2013, मुक्त व्यापार समझौते, वन अधिकार कानून, लावारिस पशु, कृषि मजदूरों के लिए कानून और कश्मीर में कृषि संकट सरीखे मसलों पर चर्चा की।

इसके बाद साझा संघर्ष विकसित करने के लिए मसौदा तैयार किया गया। इसके बारे में आम लोगों को जागरूक करने की जिम्मेदारी हर संगठन को अपने-अपने प्रभावी क्षेत्र में उठानी है।

एआईकेएससीसी के संयोजक वीएम सिंह ने बताया कि पराली के धुएं के नाम पर आज किसानों को तंग किया जा रहा है। गन्ने की पत्ती तक जलाने पर एफआईआर हो रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण की प्रकृति शहरी है। पराली के धुएं का इसमें रोल नहीं है।

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अगर सरकारें मानती है कि पराली का धुआं प्रदूषण कर रहा है तो उनको इसका व्यावहारिक समाधान देना चाहिए, क्यों वह पराली को खरीदने के साथ उससे बायोगैस, पेपर, सीएनजी और एथेनॉल सरीखे बाई-प्रोडक्ट नहीं बनातीं।

इस समिति के योगेंद्र यादव के अनुसार कृषि की काफी जमीन बेकार हो गई है। इस जमीन पर अभी भी बर्बादी तेजी से हो रही है। जिस के कारण किसानों को दोहरी मार का शिकार होना पड़ रहा है। पहले सूखे ने बाद में बारिश ने फसलों को तबाह कर दिया है। देश की अर्थव्यवस्था का खेती की जमीन का काफी योगदान रहा है। जिस के किसानों का काफी नुकसान हो जाता है।

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योगेंद्र यादव के मुताबिक, 25 राज्यों के 250 किसानों ने आठ जनवरी को राष्ट्रीय ग्रामीण बंद करने का आह्वान किया है। इस दिन पूरा ग्रामीण भारत बंद रहेगा। एआईकेएससीसी की जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर की इकाइयां अपनी-अपनी योजना के अनुसार इसे आगे बढ़ाएंगी। इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से सिर्फ इतनी भर सलाह है कि अहिंसात्मक प्रदर्शन व्यक्तियों व दलों के खिलाफ नहीं, सरकारों के खिलाफ होगा।

जागरूकता अभियान चलेगा

दूसरी तरफ वीएम सिंह का कहना है कि इससे पहले 15-31 दिसंबर तक सभी संगठन अपने-अपने प्रभाव क्षेत्र वाले इलाके में किसानों के बीच जागरूकता अभियान चलाएंगे। इस दौरान सम्मेलन में उठाए गए मसलों की जानकारी किसानों को दी जाएगी। इसके बाद एक जनवरी से पांच जनवरी के बीच किसान राष्ट्रपति के नाम पत्र लिखेंगे। आखिर में आठ जनवरी को ग्रामीण भारत बंद रहेगा। किसान अपने गांव में रहेगा। वह किसी भी तरह का कोई काम नहीं करेगा।

 

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