
 लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी वैसे तो अपने आप को मुस्लिमों का सहयोगी बताती है और इसके उदाहरण के रूप में केद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी,शाहनवाज हुसैन,नजमा हेपतुल्ला जैसे नेताओं का नाम भी गिनाती है
लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी वैसे तो अपने आप को मुस्लिमों का सहयोगी बताती है और इसके उदाहरण के रूप में केद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी,शाहनवाज हुसैन,नजमा हेपतुल्ला जैसे नेताओं का नाम भी गिनाती है
लेकिन उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में मुस्लिमों को टिकट न देकर बीजेपी ने एकबार फिर अपना मुस्लिम विरोधी चेहरा जनता के सामने उजागर कर दिया है बीजेपी ने इसबार किसी भी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है।
पार्टी के एक मुस्लिम नेता ने इसपर सवाल करते हुए पूछा है कि वह मुसलमानों को किस मुंह से कहें कि वे बीजेपी को वोट दें जबकि पार्टी ने किसी एक मुस्लिम को भी टिकट नहीं दिया है। सैफी 2002 से अबतक सिर्फ इकलौते मुस्लिम उम्मीदवार हैं जिन्हें बीजेपी से टिकट मिला है शकील आलम सैफी 2012 में बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ चुके है
सैफी ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा है कि ‘अगर पार्टी कुछ मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दे देती तो मैं कुछ बोलने के लायक रहता लेकिन अब उन मुसलमानों से वोट मांगना काफी मुश्किल है मैं उनसे कैसे कहूं कि बीजेपी को वोट दो?’
सैफी ने स्वीकार करते हुए कहा कि यह सच है कि मुस्लिम बीजेपी को वोट नहीं करते लेकिन बीजेपी भी उन लोगों के वोट लेने की कोशिश नहीं करती यूपी में 403 विधानसभा सीटें हैं, बीजेपी को भी पता है कि वह जीतने नहीं वाली फिर उन्होंने कुछ मुसलमानों को टिकट देकर चांस क्यों नहीं लिया।
सैफी ने 2012 में बदायूं जिले की साहसवन सीट से चुनाव लड़ा था उस चुनाव में सैफी की जमानत जब्त हो गई थी। लेकिन सैफी अपने बचाव में यह कहते हैं कि उस चुनाव में बीजेपी के 229 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
सैफी बीजेपी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी हैं सैफी ने बताया कि उन्होंने मुस्लिम बहुल भिलारी सीट से टिकट की मांग की थी लेकिन उन्हें साइड कर दिया गया।
 
 





