खुशखबरी: ब्याज दरों में हो सकती है कटौती, आम लोगों को मिलेगा फायदा
भारतीय रिजर्व बैंक का कहना है कि यदि मुद्रास्फीति कम हुई तथा मानूसन बेहतर रहा तो रिजर्व बैंक नीतिगत दरों में आगे और कटौती कर सकता है। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि हम मुद्रास्फीति को देख रहे हैं। इसमें गिरावट यदि जारी रही तो उससे नीतिगत ब्याज दर में और कटौती की गुंजाइश बनेगी।
आरबीआई ने इसी माह के शुरू में फौरी ऋण की अपनी ब्याज दर 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दी जो पिछले पांच साल का न्यूनतम स्तर है। यह कटौती छह महीने के अंतराल पर की गई। जनवरी 2015 तक आरबीआई ने नीतिगत दर में कुल मिलाकर 1.5 प्रतिशत की कटौती की है।
मानसून के संकेतों का इंतजार
राजन यहां अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्व बैंक की सालाना बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे है। उन्होंने कहा कि आरबीआई यह भी देखना चाहता है कि मानसून की स्थिति दो साल लगातार खराब रहने के बाद इस साल इसकी प्रगति कैसी रहती है। राजन ने कहा कि हमें अच्छे मानसून के संकेतों का इंतजार हैं। दुर्भाग्य से भारत अभी मानसून के प्रति थोड़ा संवेदनशील है हालांकि लोगों को मानसून और खाद्य मूल्य के बीच संबंध देख पाना मुश्किल होता है। लेकिन तीसरा वर्ष भी खराब मानसून का रहा तो यह हो सकता है।
भारत मंदी से दूर
उन्होंने कहा कि जहां तक वृहद आर्थिक हालात को संभालने का सवाल है तो भारत ने सही काम किया जबकि कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं समेत अन्य अर्थव्यवस्थाएं मुश्किल वैश्विक हालात के बीच मुश्किल में हैं।
जेनेट येलेन की प्रशंसा
राजन ने कहा कि भारत ने अपना घाटा कम किया है ताकि वह उतार-चढ़ाव भरे वैश्विक हालात में अपने अर्थव्यवस्था के प्रबंधन के लिए अपेक्षाकृत अधिक लचीलेपन के साथ काम कर सके। राजन ने अमरीका की मौद्रिक नीति में उभरते बाजारों का पहले से अधिक ध्यान रखने के लिए अमरीकी फेडरल रिजर्व की प्रमुख जेनेट येलेन की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि वे निश्चित रूप से ज्यादा ध्यान दे रहे हैं और ज्यादा ध्यान देने के बारे में सोच रहे हैं जो मुझे लगता है कि स्वागत योग्य कदम है। मुझे लगता है कि येलेन के कार्यकाल में इसमें थोड़ा बदलाव हुआ है।
दूसरों के ऊपर का दबाव थोड़ा कम
राजन ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति में हाल में उभरते बाजारों के लिए मुद्रा उतार-चढ़ाव और जिंस मूल्य में गिरावट जैसे मुद्दों के समाधान के संबंध में और गुंजाइश प्रदान की गई है। फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ोतरी की धीमी रफ्तार का हवाला देते हुए राजन ने कहा कि इससे दूसरों के ऊपर का दबाव थोड़ा कम हुआ है।