‘प्रो सुखवीर सिंघल मार्ग’ के नाम से जानी जाएगी लखनऊ की यह सड़क, जानिए क्यों किया गया नामकरण

वॉश शैली के मशहूर चित्रकार प्रो सुखवीर सिंघल की स्मृति में एक मुख्य मार्ग का नामकरण उनके नाम पर महापौर संयुक्ता भाटिया ने किया । उनके निवास स्थान, कैसरबाग में सफ़ेद बरादरी के पीछे बेगम हज़रत महल पार्क से लेकर अमीर-उद-दौला पब्लिक लाइब्रेरी तक स्थित मार्ग का नामकरण ‘प्रो सुखवीर सिंघल मार्ग’ किया गया | इसके उपरांत प्रो. सुखवीर सिंघल जी के केसरबाग स्थित कला संघ्रालय का उदघाटन किया गया एवं प्रो. सिंघल की 16वी पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की गयी | नए मार्ग एवं कला संघ्रालय का भव्य उदघाटन लखनऊ की महापौर माननीय संयुक्ता भाटिया के करकमलों द्वारा सम्पन्न किया गया । विशिस्ट अतिथि के रूप मे राज्य ललित कला अकादमी के अध्यक्ष श्री सीताराम कश्यप मौजूद रहे।

मुख्य अतिथि संयुक्ता भाटिया ने कहा कि प्रो सुखवीर सिंघल ने अपने सृजन से भारत की चित्रकला को समृद्ध किया है। उन्होंने अपने चित्रों में भारतीय संस्कृति को दर्शाया है। उनकी पेंटिंग में भारतीय संस्कृति, धर्म-अध्यात्म, दर्शन और परंपराएं देखने को मिलतीं हैं। यह मार्ग प्रो. सिंघल जी, जो एक सच्चे कलाकार एवं स्वतंत्रता सेनानी भी थे, उनकी 16वी पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित किया जाने का लघु प्रयास है। विशिस्ट अतिथि सीताराम कश्यप ने बताया की प्रो. सिंघल ने अपनी खुद की वॉश तकनीक विकसित की। उनकी चर्चित पेंटिंग बारात और औरंगजेब के दरबार में वीर शिवाजी दुनिया में जानी गई।

इस अवसर पर प्रियम चंद्रा ने बताया कि मेरे नाना प्रो सुखवीर सिंघल लखनऊ कला एवं शिल्प महाविद्यालय के छात्र रहे। उनके गुरु असित कुमार हलदर थे। इलाहाबाद में कलाभारती संस्था के तहत कला के अलावा गीत-संगीत और वादन गुर सिखाते रहे। वापस लखनऊ कला एवं शिल्प महाविद्यालय के बतौर प्रोफेसर अध्यापन के बाद प्राचार्य भी बने। सेवानिवृत्त के बाद वह अंतिम क्षण तक सृजन करते रहे और कैसरबाग स्थित परिसर मे कला प्रशिक्षण देते रहे।प्रियम चंद्रा ने आगे कहा कि इस मौके पर नामकरण करने के लिए मैं महापौर संयुक्ता भाटिया का आभार जताती हूँ।

उनकी पुत्री डा. स्तुति सिंघल ने बताया इनकी चित्रकला में इनके अपने खुद के विचार और भावनाओं की झलक देखने को मिलती है। प्रो सुखवीर की लिखी पुस्तक ‘भारतीय चित्रकला पद्धति’ प्रकाशित है। इलाहाबाद में प्रो सुखवीर सिंघल ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के कहने पर ‘एवेल्यूशन ऑफ आर्ट एंड आर्टिस्ट’ की रचना की थी।

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