
नई दिल्ली| कांग्रेस ने शुक्रवार को नरेंद्र मोदी सरकार पर न्यायपालिका समेत देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं को व्यवस्थित ढंग से और जानबूझ कर कमजोर करने का आरोप लगाया, और साथ ही न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी करने की सरकार की कोशिश की निंदा भी की।
कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “इस सरकार ने अपने ढाई साल के कार्यकाल के दौरान लोकतांत्रिक संस्थाओं को व्यवस्थित ढंग से और जानबूझ कर कमजोर किया है।”
कांग्रेस का यह हमला शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सरकार को फटकार लगाने के बाद आया है। शीर्ष न्यायालय ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सर्वोच्च न्यायालय की सिफारिश को दबा कर बैठने पर सरकार को फटकार लगाई है।
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी.एस. ठाकुर, न्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि सरकार की निष्क्रियता न्यायपालिका को पंगु बनाने और उसे ठप करने के समान है।
सिंघवी ने इस स्थिति को अप्रत्याशित करार दिया है।
उन्होंने कहा, “लोकतंत्र के एक और स्तंभ को कमजोर करने की सरकार की कोशिश की हम निंदा करते हैं। हम इस कोशिश को न्यायापालिका को निर्थक बनाने, उसपर नियंत्रण करने या उसे शर्मसार करने के रूप में देखते हैं। यह दुखद है कि प्रक्रिया पत्र का इस्तेमाल सरकार ब्लैकमेल करने के लिए कर रही है।”
सिंघवी ने कहा, “जबतक न्यायपालिका सरकार के प्रक्रिया पत्र से सहमत नहीं हो जाती, तबतक सिफारिश की गई नियुक्तियों को समय पर मंजूरी नहीं दी जाएगी। आप प्रक्रिया पत्र पर इस तरीके से मोलभाव कर सर्वोच्च न्यायालय के किसी फैसले को बाधित व कमजोर नहीं कर सकते।”
उन्होंने कहा, “हालात चकित करने वाले हैं। हमारे अधिकांश उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की संख्या स्वीकृत संख्या की मात्र आधी है। यदि आप के पास तीन करोड़ मामले लंबित हैं, फिर अच्छे शासन के बारे में बात करने का क्या अर्थ।”