बर्फ पिघलते ही इस झील में तैरते हैं नरकंकाल, आखिर क्या है वजह?
आज हम आपको ऐसी रहस्यमयी झील के बारे में बताएंगे, जहां मछलियां या जलीय जानवर नहीं बल्कि नरकंकाल तैरते हैं। क्या आप भारत की इस रहस्यमयी झील के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो आज जान लीजिए।
इस झील का नाम है रूपकुंड झील। अपने नाम के अनुसार ये झील सुंदर तो है लेकिन साथ ही भुतहा भी है। ये उत्तराखंड में है। इस झील में आपको सिर्फ कंकाल ही कंकाल देखने को मिलेंगे बाकि किसी और चीज के बारे में सोचना भी गुनाह है।
आखिर यहां इतनी हड्डियां आई कैसे? अगर आप ये सोच रहे हैं तो हम आपको बता दें कि वैज्ञानिकों ने अब इस रहस्य से पर्दा उठा दिया है।
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यहां हड्डियां मिलने के रहस्य के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि बहुत सालों पहले एक भयानक आपदा आई थी उसने ही इन निर्दोष लोगों की जान ले ली। दरअसल उस समय ओलावृष्टि पड़ने से ये लोग खुद के जीवन को न बचा पाए। चोटों के आधार पर वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ये ओले क्रिकेट की गेंद के जितने बड़े थे।
हड्डियों के डीएनए जांच से ये बात साबित हुई है कि ये हड्डियां 850 ई. की हैं। हर साल जब बर्फ पिघलती है तो यहां सैकड़ों कंकाल झील के पानी में तैरते दिखाई देते हैं।
इतने सारे नरकंकालों के यहां होने की वजह से ही इस झील का नाम कंकाल झील रख दिया गया है। यहां सबसे पहले नरकंकालों की खोज 1942 में रेंजर एच के माधवल ने की थी।
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स्थानीय लोग इस झील में नरकंकालों के मिलने की वजह नंदा देवी का प्रकोप मानते हैं। और तो और वो इस झील की पूजा भी करते हैं। यहां नरकंकाल हर उम्र और आकार के हैं। कुछ नरकंकालों की लंबाई तो 10 फीट है।
इस झील को रूपकुंड कहने के पीछे भी एक कहानी है। लोगों का कहना है कि एक बार शिव-पार्वती पृथ्वी का भ्रमण कर रहे थे। जब पार्वती को प्यास लगी तो शिव जी ने अपने त्रिशूल से इस झील का निर्माण किया। पार्वती जी ने इससे पानी पिया और इसमें अपनी परछाई देखकर इसको रूपकुंड का नाम दिया।