
5 अगस्त 2019 ये भारत के इतिहास में एक नई तारीख है जिसमें बर्षों से उलझे मुद्दे को खत्म किया गया है। केंद्र की बीजेपी सरकार ने धारा 370 हटाकर इतिहास तो रच दिया है लेकिन कुछ लोगों को ये बात हजम नहीं हो रहीं हैं ।
बता दें कि खुफिया संस्थाओं ने सरकार को आगाह किया है कि आने वाले दिनों में कश्मीर में पाक प्रायोजित आतंकवादी घटनाओं में तेजी आ सकती है. इसके लिए पाकिस्तान अफगानिस्तान में सक्रिय तालिबान की मदद लेगा.
अमेरिकी सैनिकों की रवानगी के बाद तालिबान न सिर्फ अफगानिस्तान में अपना दबदबा बढ़ाएगा, बल्कि पाकिस्तानी सेना की मदद से भारत में कश्मीर में गजवा-ए-हिंद की स्थापना करने के मंसूबे पाले हुए हैं.
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक वॉशिंगटन में सक्रिय वहाबी लॉबी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर दबाव बनाकर इस बात के लिए राजी कर लिया है कि अमेरिकी प्रशासन काबुल में तालिबान का रास्ता प्रशस्त करे. इस रणनीति के तहत ही बीते समय अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया बहाली के लिए वार्ता में तालिबान को शामिल किया गया. इधर पाकिस्तान की खुफिया संस्था आईएसआई के नए प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद के नेतृत्व में पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद को नई जान फूंकना चाहता है. इसके लिए ही अफगानिस्तान में तालिबान को लेकर अमेरिका से डील की गई है. इस तरह तालिबान के पास अफगानिस्तान में ज्यादा कुछ करने को रह नहीं जाएगा. फिर तालिबान लड़ाकों को कश्मीर में उतार आतंकवाद को नवजीवन दिया जाएगा.
जेहादियों की बातचीत हुई रिकॉर्ड
बीते दिनों खुफिया संस्थाओं ने जेहादियों की बातचीत को रिकॉर्ड किया था. इसमें तालिबान लड़ाके अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की रवानगी से खासे उत्साहित हैं. अमेरिका के इस कदम को वह अपनी जीत बतौर देख रहे हैं. इसके बाद उनका इरादा कश्मीर में गजवा-ए-हिंद की स्थापना करने का है. तालिबान को इस इरादे में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा की भी ममद मिलेगी. इसके लिए जैश और लश्कर ने भारत के प्रमुख शहरों में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने की साजिश रची है.
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खुफिया जानकारी के मुताबिक तालिबान समेत जैश और लश्कर को रावलपिंडी स्थित पाक सेना के मुख्यालय से निर्देशित किया जा रहा है. अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान में तालिबान को गुपचुप तरीके से खुली छूट देने के बाद तालिबान की मदद से आईएसआई और पाकिस्तान सेना कश्मीर में सक्रिय करेगी.