दाल कीमतों में 10 फीसदी तक गिरावट
बुधवार को कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार ने सभी राज्यों की सरकार से दालों की जमाखोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ राज्य सरकार से दाल की जरूरत बताने के लिए भी कहा था ताकि केंद्र सरकार राज्यों को उनकी जरूरत के मुताबिक दाल की आपूर्ति कर सके। अमर उजाला में सबसे पहले गत 16 तारीख को दाल की बढ़ती कीमत पर खबर छापी गई थी।
2015-16 के खरीफ सीजन के दौरान सरकारी एजेंसियों ने किसानों से 50,000 टन दाल की खरीदारी की थी और 25,000 टन दाल के आयात का आर्डर दे चुकी है। पिछले सप्ताह अरहर दाल के थोक भाव 145-150 रुपये प्रति किलोग्राम, उड़द दाल के थोक दाम 175 रुपये प्रति किलोग्राम, मसूर दाल के थोक दाम 80 रुपये प्रति किलोग्राम तो चना दाल के थोक भाव 57 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गए थे।
लेकिन बृहस्पतिवार को सभी दालों के भाव में गिरावट रही। उड़द दाल के दाम में 10 रुपये प्रति किलोग्राम तक की गिरावट रही। वहीं अरहर दाल में 4 रुपये प्रति किलोग्राम तो चने की दाल में 5 रुपये प्रति किलोग्राम तक की कमी दर्ज की गई। पिछले शुक्रवार को चने की दाल की थोक कीमत 57.50 रुपये प्रति किलोग्राम चल रही थी।
लारेंस रोड स्थित दाल के थोक कारोबारी अशोक गुप्ता ने बताया कि दाल की खरीदारी नहीं हो रही है। थोक कारोबारी से लेकर खुदरा कारोबारी तक दाल की खरीदारी नहीं कर रहा है और सरकार की तरफ से बफर स्टॉक से आपूर्ति केसाथ छापेमारी शुरू हो गई है। ऐसे में कीमत कम होना लाजिमी है। उन्होंने कहा कि आगे भी दाल के भाव सामान्य रहेंगे और मानसून बेहतर रहने पर दाल के दाम में तेजी नहीं आएगी।
भारत में लगभग 185 लाख टन दाल का उत्पादन होता है जबकि घरेलू खपत 220 लाख टन के आसपास है। हर साल भारत को लगभग 35-37 लाख टन दाल का आयात करना पड़ता है।
चीनी की बढ़ती कीमतों पर लगी लगाम
चीनी के दाम में पिछले दो महीनों में 40 फीसदी तक की तेजी के बाद चीनी के भाव पर भी सरकार लगाम लगाने में कामयाब रही। चीनी के उत्पादन की समीक्षा के बाद सरकार ने चीनी के भाव में तेजी लाने वाले कारोबारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का फैसला किया है।