उप्र : जेल में कैदियों बीच संघर्ष, एक की मौत

मुजफ्फरनगर। जिला जेल में कैदियों बीच संघर्ष में एक कैदी की मौत हो गई और उसका एक अन्य साथी बुरी तरह घायल हो गया। कैदी की मौत व हंगामे की खबर पाकर डीआईजी (जेल) वी.के. शेखर जिला कारागार में पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों से पूरे मामले की जानकारी लेने के साथ बारीकी से जेल का निरीक्षण भी किया।

जेल में कैदियों बीच संघर्ष

अपनी खास कार्यप्रणाली को लेकर अक्सर चर्चाओं में रहने वाला जिला कारागार कैदियों के आपसी संघर्ष व एक कैदी की मौत से फिर से चर्चा में आ गया। गुरुवार की रात जिला कारागार में बंद कैदियों के दो गुट आपस में भिड़ गए। इनके बीच जमकर मारपीट हुई, जिसमें एक कैदी की मौत हो गई है। प्रशासन का सारा अमला जेल पर मौजूद रहा।

बताया जाता है कि कैदी बिट्टू, सचिन व चंद्रहास का दूसरे गुट के शाहरुख, सुक्खा, प्रदीप, प्रमोद व शौकीन से विवाद चल रहा था। जिला जेल के बैरक नंबर आठ में चंद्रहास वर्ष 2009 से सहारनपुर में हुए तिहरे हत्याकांड के मामले में सजा काट रहा था। इस मामले में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

गुरुवार रात चंद्रहास और अन्य कैदी बिट्टू निवासी गांव सिमरती थाना छपार का किसी बात को लेकर बैरक के अन्य कैदियों से विवाद हो गया। इसके बाद जेल प्रशासन ने दोनों को बैरक नंबर तीन में भेज दिया।

आरोप है कि इस बैरक के कई कैदियों ने चंद्रहास और बिट्टू से मारपीट की। रात में ही चंद्रहास की हालत बिगड़ गई। उसे पहले जेल अस्पताल और बाद में देर रात मेडिकल कालेज मेरठ रेफर किया गया, वहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। इससे कैदियों में आक्रोश भड़क उठा।

बंदी बिट्टू ने बैरक नंबर तीन के चार कैदियों शाहरुख, सुक्खा, प्रदीप और प्रमोद के खिलाफ तहरीर दी है।

डीआईजी शेखर, सिटी मजिस्ट्रेट राजेंद्र सिंह, सीओ सिटी डा. तेजवीर सिंह, जेलर एस.सी. त्रिपाठी और कई थानों की फोर्स मौके पर जिला कारागार में पहुंचे।

इस दौरान डीआईजी ने बताया कि बीती रात कैदियों के दो गुटों में किसी बात को लेकर संघर्ष हो गया था, जिसमें हुई मारपीट में चरथाव के दूधली निवासी कैदी चंद्रहास को गंभीर चोटें आईं। उसे जेल अस्पताल से मेरठ रेफर कर दिया गया, जहां उसकी मौत हो गई। उसका एक अन्य साथी बिट्टू घायल हो गया।

कैदी चंद्रहास की मौत की खबर मिलने पर शुक्रवार सुबह बंदियों ने जेल हंगामा कर दिया। बंदियों के हंगामा होने पर जनपद के पुलिस अधिकारी फोर्स लेकर जेल पर आ गए। सख्ती दिखाते हुए बंदियों को बैरकों में बंद कर दिया गया।