
मुंबई : बॉलीवुड दुनिया के एक्टर और डायरेक्टर उत्पल दत्त के किरदार आज भी पर्दे पर लोगों को हंसाने में कामयाब हैं। वहीं 29 मार्च 1929 को जन्मे उत्पल दत्त की फिल्मों में बतौर पॉलिटिक्स एक्टिविस्ट की भी झलक मिलती है। गोलमाल में उनके किरदार को भला कौन भूल सकता है। तो चलिए उत्पल दत्त के जन्मदिन पर जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी खास बातें।
बता दें की उत्पल दत्त का जन्म बांग्लादेश के बारिसल में हुआ था। उन्होंने शुरुआती पढ़ाई शिलांग से की। पिता गिरिजा रंजन दत्त ने आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें कोलकाता भेज दिया जहां उन्होंने अंग्रेजी साहित्य से ग्रेजुएशन किया।
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कॉलेज के दिनों से ही उन्हें थियेटर से लगाव होने लगा। 1940 में वह अंग्रेजी थिएटर से जुड़े और अभिनय की शुरुआत की। उत्पल दत्त ने अंग्रेजी के साथ ही बंगाली नाटकों में भी काम करना शुरू किया। उन्होंने इस दौरान नाटकों के निर्देशन और लेखन का काम भी किया। बंगाली राजनीति पर लिखे उनके नाटकों के कारण कई बार विवाद भी हुए।
उत्पल दत्त एक बड़े मार्क्सवादी क्रांतिकारी थे। उनके नाटक जनता को बहुत पसंद आते थे लेकिन सरकारें अक्सर उत्पल दत्त के खिलाफ ही रहीं। उनके लिखे और निर्देशित कई बांग्ला नाटक विवादों में घिरे, इन्हीं में एक नाटक था 1963 में आया ‘कल्लोल’। इसमें नौसैनिकों की बगावत की कहानी को दिखाया गया और तब की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा गया था।
वहीं 1965 में पश्चिम बंगाल में कांग्रेस सरकार ने नाराज होकर उत्पल दत्त को कई महीनों के लिए जेल में डाल दिया था। 1967 में जब बंगाल विधानसभा के चुनाव हुए तो कांग्रेस सरकार को हार का सामना करना पड़ा।
इस तरह पहली बार वाम दलों की गठबंधन की सरकार बनी। कांग्रेस सरकार की हार के अहम कारणों में उत्पल दत्त की गिरफ्तारी एक वजह मानी गई। जब देश में इमरजेंसी लगा तो उत्पल दत्त ने तीन नाटक लिखे थे- बैरीकेड, सिटी ऑफ नाइटमेयर्स, इंटर द किंग। उस वक्त सरकार ने उनके तीनों नाटकों को बैन कर दिया था।
दरअसल उत्पल दत्त ने 100 से ज्यादा फिल्में की हैं। उन्हें डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्में गोलमाल, नरम गरम और रंग बिरंगी के लिए कॉमेडी का फिल्मफेयर मिला। 19 अगस्त 1993 को उत्पल दत्त इस दुनिया को अलविदा कह गए।