इच्‍छाओं पर नियंत्रण

जग्गी वासुदेव एक योगी, सद्गुरु और दिव्‍यदर्शी हैं। उनको ‘सद्गुरु’ भी कहा जाता है। वह ईशा फाउंडेशन नामक लाभ रहित मानव सेवी संस्‍थान के संस्थापक हैं। ईशा फाउंडेशन भारत सहित संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, लेबनान, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में योग कार्यक्रम सिखाता है साथ ही साथ कई सामाजिक और सामुदायिक विकास योजनाओं पर भी काम करता है। इसे संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक परिषद  में विशेष सलाहकार की पदवी प्राप्‍त है। आइए जानते हैं सद्गुरु जग्‍गी वासुदेव के बताए 10 वचनों के बारे में।

जग्गी वासुदेव

जग्गी वासुदेव के वचन

‘मेरे लिए यह जीवन लोगों को उनकी दिव्यता का अनुभव कराने और उसे व्यक्त करने में उनकी मदद करने का एक प्रयत्न है। मेरी कामना है कि तुम इस दिव्य आनन्द को जानो’ – सद्गुरु वासुदेव

  1. अविश्वसनीय चीजें आसानी से की जा सकती हैं यदि हम उन्हें करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
  2. कुंठा, निराशा और अवसाद का मतलब है कि आप अपने खिलाफ काम कर रहे हैं।
  3. एक बार जब आपका मन पूर्ण रूप से स्थिर हो जाता है तब आपकी बुद्धि मानवीय सीमाओं को पार कर जाती है।
  4. आध्यात्मिकता का मतलब है क्रमिक विकास की प्रक्रिया को फ़ास्ट-फॉरवर्ड पे डालना।
  5. हर चीज को ऐसे देखना जैसी कि वो है, आपको जीवन को सहजता से जीने की शक्ति और क्षमता देता है।
  6. आपकी ज्यादातर इच्छाएं वास्तव में आपकी नहीं होतीं। आप बस उन्हें अपने सामजिक परिवेश से उठा लेते हैं।
  7. ये दर असल सेक्स के बारे में नहीं है- अपने शरीर से अपनी पहचान करना आपके आध्यात्मिक विकास में बाधक है।
  8. जिम्मेदारी का मतलब है जीवन में आने वाली किसी भी स्थिति का सामना करने में सक्षम होना।
  9. कोई भी काम तनावपूर्ण नहीं है। शरीर, मन और भावनाओं का प्रबन्धन ना कर पाने की आपकी असमर्थता उसे तनावपूर्ण बनाता है।
  10. खोजने का अर्थ है ये स्वीकार करना कि आप नहीं जानते हैं। एक बार जब आप अपनी स्लेट साफ़ कर लेते हैं, सच खुद को उसपर छाप सकता है।
  11. मन को केवल कुछ चीजें ही याद रहती हैं। शरीर को सबकुछ याद रहता है। जो सूचना ये रखता है वो अस्तित्व के प्रारम्भ तक जाती हैं।
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