घूसखोरी से येदियुरप्पा बरी, फोड़े गये नारियल

बेंगलुरु। 40 करोड़ रुपए की घूस से जुड़े भ्रष्टाचार के एक मामले में कर्नाटक के पूर्व मुख्‍यमंत्री और वरिष्‍ठ भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा बरी हो गए हैं।

विशेष सीबीआई अदालत ने राज्य बीजेपी अध्यक्ष येदियुरप्पा, उनके परिवार के सदस्यों और कुछ अन्य आरोपियों के पक्ष में बुधवार को फैसला दिया। फैसला आने के बाद येदियुरप्पा ने कहा कि उन्हें न्याय मिल गया है।

आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में येदियुरप्पा, उनके दो बेटे, एक दामाद और एक स्टील कंपनी के कर्मचारी आरोपी थे। आरोप था कि 2010 में येदियुरप्पा के परिवार और फैमिली ट्रस्ट को चालीस करोड़ रुपए की घूस दी गई। आरोप था कि येदियुरप्पा के 2008 से 2011 के बीच सीएम रहते राज्य सरकार से फायदा उठाने के लिए ये घूस दी गई। 2012 में दाखिल चार्जशीट में सीबीआई ने येदियुरप्पा और 12 अन्य लोगों को आरोपी बनाया था।

सीबीआई कोर्ट में इस मामले पर 216 गवाहों की पेशी हुई। सीबीआई का कहना था कि घूस का पैसा जेएसडब्ल्यू की सहयोगी एक कंपनी की ओर से दी गई। यह भी आरोप था कि उन्होंने घूस की रकम छिपाने के लिए बेंगलुरु डिवेलपमेंट अथॉरिटी की नोटिफाई की गई एक एकड़ जमीन जेएसडब्ल्यू को 20 करोड़ में बेची। जांच एजेंसियों के मुताबिक, इस जमीन की कीमत महज साढ़े पांच करोड़ रुपये थी।

येदियुरप्पा के कोर्ट द्वारा बरी होने पर कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि सबूतों के अभाव में येदियुरप्पा को कोर्ट ने बरी कर दिया है इसका मतलब ये कतई नहीं है कि येदियुरप्पा बेकसूर हैं। वहीं दूसरी ओर येदियुरप्पा के समर्थकों ने गुलबर्ग में कई बोरे नारियल तोड़कर खुशी का इजहार किया।

येदियुरप्पा कर्नाटक की राजनीति में बड़ा नाम हैं। उनको मिली इस जमानत पर सत्ताधारी कांग्रेस की भी नजर होगी। राज्य सरकार इस फैसले के खिलाफ ऊपरी अदालत में जाएगी कि नहीं, राजनीतिक जानकार इसे लेकर कयासबाजी में जुट गए हैं।

इस फैसले को येदियुरप्पा और बीजेपी, दोनों के लिए ही एक बड़ी जीत के तौर पर देखा जा रहा है। राज्य में अगले साल होने वाले चुनाव के मद्देनजर कोर्ट के इस फैसले की राजनीतिक अहमियत भी है।

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