क्या कहते हैं वो फेमस हुए सफाई कर्मचारी? जिनके पैर नरेन्द्र मोदी ने धोये…
कुछ दिन पहले की बात है. मैं सोकर उठी. फेसबुक खोला तो सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर नजर आई. सफाई कर्मचारियों के पैर धोते हुए. ये तस्वीरें अगले कुछ दिनों तक सोशल मीडिया, न्यूज चैनल और बड़े-बड़े होर्डिंग्स पर नजर आईं.
24 फरवरी 2019 का दिन था. सफाई कर्मचारियों के साथ होने वाले भेदभाव को मिटाने के लिए नरेंद्र मोदी ने कुंभ मेले में तीन पुरुष और दो महिला सफाई कर्मचारियों के पैर धोए थे.
बीबीसी ने दोनों महिलाओं से बात की. उनसे जानने की कोशिश की कि रातोंरात फेमस होने के बाद उनकी जिंदगियां कितनी बदली हैं.
चौबी और ज्योति दोनों यूपी के बांदा में रहती हैं. चौबी का घर मझिला गांव में है. वो दलित समुदाय से हैं. परिवार में पति और तीन बच्चे हैं. वो सिर्फ मेले में ही सफाई का काम करती हैं. साढ़े तीन महीने काम किया. 310 रुपये मिलता है. वो कहती हैं कि इन पैसों में चार बच्चों के साथ परिवार चलाना मुश्किल होता है. बाकी समय वो बांस की टोकरियां बनाकर गुजारा करती हैं. वो कहती है कि प्रधानमंत्री आवास योजना में घर नहीं मिल पाया है. गैस नहीं है. चूल्हे पर खाना बनाती हैं.
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प्रधानमंत्री ने पैर धोकर सफाई कर्मचारियों के लिए भेदभाव दूर करने की कोशिश की. चौबी कहती हैं कि के लोग अब भी उनसे भेदभाव करते हैं. नल से पानी भरने में छुआछूत होती है. उनके लिए सबकुछ पहले की तरह ही है.
ज्योति भी कुछ ऐसा ही कहती हैं. वो कहती है कि उन्हें बस मान सम्मान मिला. वो कुंभ मेले में सफाई करने के अलावा वो खेतों में काम करती हैं. इंदिरा आवास योजना में उनके पास घर है. लेकिन बाथरूम नहीं है. वो नहाने के लिए तालाब जाती हैं. उनकी मांग है कि परिवार को सिर्फ पेट भरकर खाना मिल सके.
ज्योति और चौबी कहती हैं कि प्रधानमंत्री के साथ उनकी तस्वीरें पूरे देश ने देखीं, लेकिन बदला कुछ भी नहीं. वो चाहती हैं कि उन्हें सरकार की तरफ से नौकरी मिले.