इलेक्शन से ठीक पहले लौटी नोटबंदी, गवर्नर भी नहीं जानते इस ‘लाइलाज’ समस्या का हल
लखनऊ। यूपी इलेक्शन से ठीक पहले एक बार फिर देश कैशलेस की कगार पर पहुंच चुका है। हो सकता है कि सोमवार से बैंक आपको कैश देने से भी इनकार कर दें। दरअसल एक सप्ताह से कैश की आपूर्ती बैंकों में नहीं हुई है। इस वजह से बैंकों के पास पैसा नहीं बचा है।
कैशलेस की कगार पर
बता दें इलेक्शन की तैयारियों के चलते आरबीआई कैश सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मियों की कमी से जूझ रही है। इस पिछले एक सप्ताह से सभी बैंको पैसा न होने की किल्लत झेल रहे हैं। फिलहाल सभी बैंक अधिकारी मिलकर इस समस्या से निपटने के लिए मंथन कर रहे हैं।
शनिवार को नोटबंदी को लेकर 100 दिन पूरे हो चुके हैं लेकिन उपभोक्ताओं की दिक्कत अभी खत्म नहीं हुई है। कभी एटीएम या बैंक से पैसे मिल जाते हैं तो कभी नहीं।
इतना ही नहीं दिल्ली से सटे गाजियाबाद और नोएडा में भी कैश न होने से लोगों का बुरा हाल है। गौतमबुद्ध नगर के लीड डिस्ट्रिक्ट मैनेजर एके सिंह का कहना है कि गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर और नोएडा के चेस्ट में कानपुर आरबीआई से पैसा नहीं आ पा रहा है।
चूंकि पैसा लाने के लिए जिले की पुलिस जाती है, लेकिन यह सभी पुलिसकर्मी चुनाव ड्यूटी में दूसरे जिलों में गए हैं।
लिहाजा पैसा लाने का काम नहीं हो पा रहा है। इस बाबत सभी जिलों में मौजूद लीड बैंक मैनेजर आरबीआई, डीएम और एसएसपी से बात कर रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान अभी तक नहीं निकला है।
प्राइवेट बैंकों को भी कैश लाने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। प्राइवेट बैंकों के पास भी पहले से मौजूद कैश खत्म होने को है। गुरुवार को गाजियाबाद के कई प्राइवेट बैंकों के एटीएम में कैश नहीं था।
जिन एटीएम में पैसा नहीं है, उसमें आगे पैसा आने की संभावना न के बराबर है। वहीं बैंकों के ब्रांच भी एटीएम में पैसा नहीं डाल रहे हैं। बैंक अधिकारियों की ओर से आरबीआई से भी अपील की गई है कि वह अपनी ओर से सुरक्षाकर्मियों की व्यवस्था कर पैसा भिजवाएं ताकि लोगों का किसी तरह से काम चल सके।
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर उर्जित पटेल ने कहा है कि नोटों की कमी को जल्द खत्म कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश पुनर्मुद्रीकरण की दिशा में देश तेजी से बढ़ रहा है।
उर्जित पटेल ने कहा कि नोटबंदी के पहले दिन से ही नोटों की छपाई का काम पूरी क्षमता के साथ किया जा रहा है और हालात को काफी हद तक सामान्य कर लिया गया है।
इसके साथ ही एक निजी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने कैश की कमी को खुद स्वीकार किया था। उनका कहना है कि इस समस्या से निपटने के लिए काफी इंतजाम किए गए हैं।
जहां तक पुनर्मुद्रीकरण की बात है, मुझे लगता है कि हम इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इसलिए नोटबंदी के बाद हम हालात को हर आयाम से सामान्य करने में सक्षम हुए हैं।
फिलहाल के लिए अभी हकीकत यही है कि इन दावों के बाद भी सभी बैंक कैश की समस्या से न केवल झूझ रहे हैं बल्कि उनके पास लोगों को देने के लिए कैश पर्याप्त मात्रा में मौजूद नहीं हैं। अब ये समस्या कितने दिनों में दूर होगी यह तो वक्त ही बताएगा।