कांग्रेस की डूबती नैय्या छोड़ बीजेपी की नाव में सवार हुए संजय सिंह, पार्टी बदलने का ये है मुख्य कारण
REPORT – LOKESH TRIPATHI/ AMETHI
बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के पश्चात राजनेताओं का डूबती नैया छोड़ बीजेपी का दामन थाम सत्ता का स्वाद चखना जारी है। विदित हो कि कांग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गाँधी अपनी पारम्परिक सीट अमेठी से चुनाव हार गये।
जिसके पश्चात उन्होने अध्यक्ष पद से स्तीफा दे दिया था। वहीं कांग्रेस मे मचे घमासान के मध्य अमेठी नरेश डॉक्टर व कांग्रेस से राजसभा सांसद रहे डॉक्टर संजय सिंह ने भी पार्टी व राज्य सभा की सदस्यता से स्तीफा दे दिया है। जिस पर कांग्रेसियों ने तीखा हमला है ।
ज्ञात हो कि गाँधी परिवार के करीबी रहे संजय सिंह इससे पूर्व 1998 मे कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी में सम्मिलित हो गये थे। उस दौरान बीजेपी ने उन्हे लोकसभा चुनाव में अमेठी से कांग्रेस के कैप्टन सतीश शर्मा ले खिलाफ उम्मीदवार बनाया था।
जीत का स्वाद चखते हुए संजय सिंह पहली बार लोकसभा पहुंचे थे। इसके पश्चात उन्होने फिर से कांग्रेस सरकार के दौरान कांग्रेस दामन थाम लिया। व राज्यसभा के लिये कांग्रेस के द्वारा नामित किये गये।
वहीं फिर से उन्होने कांग्रेस की डूबती नैया को छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है ।संजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस बिना नेतृत्व वाली पार्टी बनकर रह गयी है । आज पूरा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़ा है। और अब वह भी उनके साथ हैं ।
एक तरफ जहां पर कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है कि इतिहास को मान सिंह व राजनीति को संजय सिंह जैसे लोगों ने कलन्कित किया है । वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण सिंह ने कहा कि आज जब पार्टी थोड़ा संघर्ष में है तो संजय सिंह को साथ नहीं छोड़ना चाहिए लेकिन राजनेता ऐसा है कि वह कुर्सी के बिना नहीं रह सकता है यह उनकी व्यक्तिगत सोच होगी या कहीं से कोई आवश्यकता होगी जो भाजपा में जाना पड़ा है.
अब यह तो भाजपा के लोगों का विषय है कि कितने लोग भाजपा में दुखी होते हैं इन्होंने तो एक वनवासी राम के तरीके से हमारे शीर्षस्थ नेता और जिस परिवार ने इन पर भरोसा किया.
मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि स्वर्गीय रणंजय सिंह जी जो कांग्रेश को यहां लाने में या उनकी अहम होगा इंदिरा जी से रही संजय सिंह का भी बड़ा साथ रहा लेकिन ऐसे समय में साथ छोड़ना या हमारी व्यक्तिगत निगाह में उचित नहीं है नेतृत्व कहां चला गया था.
जब इनको पार्लियामेंट का टिकट मिला और सुलतानपुर से लड़े जीते भी नहीं नेतृत्व और क्या दे देता जो भी चुनाव होते इन स्थितियों में सपा और कांग्रेस के समझौते के बावजूद भी कांग्रेसमें इन का दामन नहीं छोड़ा लाख गायत्री प्रजापति दौड़ते रहते हैं एक भ्रष्ट और दुराचारी को राहुल गांधी प्रश्रय नहीं दिया और अमिता सिंह को टिकट दिया कांग्रेस ने सभी को कुछ न कुछ दिया है छोड़ने के बाद तो सभी कुछ ना कुछ कहते हैं यह है उनका मन भी अधिकार है.
जो भी कहे और वह जहां भी जाएंगे बहुत बड़े राजनीतिक सोच के व्यक्ति हैं उनकी सोच क्या है इसका जवाब वही दे सकते हैं कि क्यों गए कांग्रेसमें उनका अपमान हुआ यह मैं नहीं कह सकता मैंने राहुल गांधी की मीटिंग में देखा कि अगर राहुल गांधी के बराबर बैठने वाला कोई व्यक्ति था वह डॉक्टर संजय सिंह थे.
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अब बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने में प्रभावित या प्रलोभित जो भी हो वह उनके उनके बीच का मामला है क्या हुआ बिना किसी लालच के आदमी कहीं जाता नहीं है इस विषय पर या तो राहुल जी टिप्पणी दे सकते हैं या तो प्रधानमंत्री की टिप्पणी दे सकते हैं कि कि कैसे वह गए लेकिन मेरे हिसाब से संजय सिंह जैसे जुझारू व्यक्तित्व के धनी आदमी को कांग्रेस में आज खड़े रहना चाहिए था.
यह तो मेरा दुर्भाग्य है कि हम कभी-कभी साथ रहते हैं मैं तो स्वयं बीजेपी से इनके साथ इनकी मदद करने के लिए आया और लगा कि संजय सिंह और हम सब साथ रहेंगे लेकिन बिना कुछ बताए ना चिट्ठी ना संदेश वो चले गए।