चीन के अड़ियल रवैये से भारत को एनएसजी में नहीं मिली एंट्री

एनएसजी सदस्यतासियोल: चीन के अड़ियल रवैये ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) का सदस्य बनने की भारत की कोशिशों पर पानी फेर दिया। भारत के एनएसजी आवेदन पर किसी निर्णय पर पहुंचे बिना 48-सदस्यीय देशों वाले इस समूह के वार्षिक सम्मेलन का शुक्रवार को दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में समापन हो गया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने चीन का नाम लिए बिना कहा कि ‘एक देश के अड़ियल रवैये’ ने भारत की कोशिश को विफल कर दिया। हालांकि भारत के एनएसजी सदस्यता के समर्थन में अधिकांश देश थे।

एनएसजी सदस्यता पर राजी थे कई देश

स्वरूप ने कहा, “भारत की सदस्यता का समर्थन करने वालों की संख्या अच्छी खासी रही और उन्होंने भारत के एनएसजी सदस्यता के आवेदन को सकारात्मक रूप से सराहा। हमें यह भी समझ आया कि इस मसले को आगे ले जाने की भी व्यापक मंशा थी।”

एनएसजी के 26वें सम्मेलन के बाद जारी बयान में हालांकि भरत या पाकिस्तान सहित किसी अन्य देश का जिक्र नहीं किया गया, जिन्होंने सदस्यता के लिए आवेदन दिया था। इसे इस बात के संकेत के रूप में देखा जा रहा है समूह के देशों में परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों की सदस्यता से संबंधित आवेदन पर सहमति नहीं बन पाई।

सम्मेलन के बाद जारी बयान में कहा गया कि बैठक में एनएसजी में एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले देशों की भागीदारी को लेकर तकनीकी, वैधानिक तथा राजनीतिक पहलुओं पर चर्चा की गई और उन्हें इसमें शामिल नहीं किए जाने पर चर्चा जारी रखने का फैसला किया गया।

बयान में यह भी कहा गया, “एनएसजी की बैठक में सदस्य देशों ने एक बार फिर एनपीटी के पूर्ण एवं प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर प्रतिबद्धता जताई, जो अंतर्राष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था (एनएसजी) का आधार है।”

भारत ने इस साल 12 मई को एनएसजी सदस्यता के लिए आवेदन दिया था, जिसके तुरंत बाद पाकिस्तान ने भी आवेदन दिया था। भारत को इसके लिए अमेरिका का पुरजोर समर्थन प्राप्त था, जबकि पाकिस्तान को चीन का समर्थन प्राप्त था।

वैश्विक परमाणु व्यापार एवं प्रौद्योगिकी को नियंत्रित करने वाले एनएसजी समूह में शामिल होने के लिए एनपीटी एक प्रमुख शर्त है। हालांकि भारत और पाकिस्तान, दोनों ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

भारत ने परमाणु अप्रसार से संबंधित अपने साफ-सुथरे रिकॉर्ड के आधार पर छूट मांगी थी। लेकिन चीन ने पाकिस्तान के लिए भी इसी तरह की छूट मांगते हुए भारत के अनुरोध को अड़ंगा लगाया, जिसका परमाणु अप्रसार के संबंध में नकरात्मक रिकॉर्ड रहा है। उस पर लीबिया, ईरान और उत्तर कोरिया को परमाणु हथियार प्रौद्योगिकी बेचने का भी आरोप है।