दबंग सपा नेता की अवैध बिल्डिंग ने ली सात मजदूरों की जान
लखनऊ। कानपुर के जाजमऊ इलाके में समाजवादी पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष महताब आलम की छह मंजिला अवैध इमारत ने सात मजदूरों की जान ले ली। और अभी भी न जाने कितनी जाने मलबे ने फसी होंगी। घटना स्थल पर NDRF की टीम और सेना के जवान युद्ध स्तर पर राहत बचाव कार्य में जुटे हुए हैं।
कानपुर के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने मीडिया से बात चीत में की और बताया है कि 21 घायलों को निकाला जा चुका है। आर्मी के सीवर डॉग भी मलबे में दबे लोगों को सूंघ कर इशारा दे रहे हैं। रेस्क्यू टीम उन घायलों को वहां से निकालने की कोशिश में जुटी हैं।
वहीं डीएम ने आदेश जारी कर इस बिल्डिंग से सम्बंधित सभी फाइलें ले ली हैं जिसकी मजिस्ट्रेट से जांच कराई जायेगी कि इस इलाके में कैसे इतनी ऊँची बिल्डिंग बनाई जा रही थी।
अवैध इमारत ने ली सात मजदूरों की जान
इस इमारत में पचास से ज़्यादा मज़दूर काम कर रहे थे , अवैध काम होने की वजह से काम तेज़ी से कराया जा रहा था एक महीने में दो स्लेप डाली गई थीं। मज़दूरों का कहना है कि आज स्लेप डालने का काम हो रहा था जिसकी वजह से मज़दूर ज़्यादा थे। मज़दूरों के कुछ बच्चे भी थे जो अभी तक मलबे में फंसे हुए हैं।
गंभीर रूप से घायल मोनू गौतम ने बताया कि यह बिल्डिंग सात मंजिला बननी थी जिसमे से पांच मंजिला बन चुके थे और छठी मंजिल में लिंटर पड़ रहा था। काम चल रहा था, तभी अचानक बिल्डिंग भरभरा कर गिर पड़ी। ठेकेदार ने इस काम के लिए 45 मजदूरों को लगाया था जिसमें से 13 महिलाएं भी थी।
अवैध इमारत का हो रहा था फटाफट निर्माण
उन्होंने बताया कि यह बिल्डिंग पूरी तरह से पिलर पर खड़ी थी। इसमें दीवारे नहीं थी। यदि दीवारें होती, तो यह हादसा नहीं होता। इसके साथ ही यह बिल्डिंग मात्र दो माह में बन कर खड़ी हुई थीl जिस वक्त यह हादसा हुआ, उस वक्त बिल्डिंग में लगभग 100 लोग मौजूद थे।
घायल रशीद व उसकी पत्नी वाहिदा भी इसी बिल्डिंग में काम कर रहे थे। वाहिदा ने बताया कि मेरे पति ऊपर छठी मंजिल में काम कर रहे थे। मैं नीचे सीमेंट, गिट्टी और मौरंग मिलाने का काम कर रही थी। जब यह बिल्डिंग गिरी तो आंखों के सामने अंधेरा छा गया। कई लोग दबे हुए हैं।
मुकेश ने बताया कि जिस वक्त लिंटर डालने का काम चल रहा था उस वक्त महिलाएं-बच्चे भी मौजूद थे। पूरी बिल्डिंग में सरिया का जाल फैला हुआ है। इस वजह से रेस्क्यू करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। घनी आबादी के साथी ही इस बिल्डिंग के चारों तरफ तीन से चार मंजिला इमारते बनी हैं, जिनमे दर्जनों परिवार रहते हैं। इसके साथ बिल्डिंग के सामने सकरी सी गली है जिसके कारण रेस्क्यू कार्य प्रभावित हो रहा है।
विसंभर पाल के मुताबिक यह बिल्डिंग जिस स्थान पर बन रही थी वहां पहले एक बड़ा गड्ढा था। बिल्डिंग बनने से पहले गड्ढे की पुराई की गई थी, लेकिन बिल्डिंग के निर्माण में जल्दबाजी होने के कारण इसकी जमीन पोली रह गई। जब यह बनकर तैयार हुई तो यह दर्दनाक हादसा हो गया।
इसके साथ ही उन्होंने बताया कि एक लिंटर ढालने में उसे गर्मियों के दिनों में सूखने में 15 दिन का समय लगता है और शर्दियो में 25 से 30 दिन का समय लगता है, लेकिन इसके निर्माण में जल्दबाजी हुई इसके पहली, दूसरी, तीसरी, चौथी और पांचवी मंजिल के लिंटर ठीक से सूख भी नहीं पाए थे। लगातार एक बाद-एक लिंटर की ढलाई होती चली गई। इसकी वजह से यह घटना घटी है।