
उम्र के एक पड़ाव के बाद माता-पिता बनना हर एक दम्पत्ति का ख्वाब होता है। एक निश्चित समय आने पर लोग इसे पूरा भी करते हैं।
परिवार में नए सदस्य के आगमन के लिए अब तक माता-पिता के साथ साथ बड़े-बुजुर्गों के सहमति की आवश्यकता पड़ती थी, लेकिन अब इनके साथ-साथ गर्भ में पल रहे भ्रूण से भी उसकी इच्छा पूछनी होगी कि क्या वह वाकई में इस दुनिया में अभी आने की चाह रखता है या नहीं?
जी हां, सुनने में भले ही यह अजीब लगे,लेकिन यह सच है। अब से गर्भ में पल रहे बच्चे की अनुमति लिए बगैर उसे पैदा नहीं किया जा सकेगा।
द वॉलेन्टियर ह्यूमन एक्सटिंक्शन मूवमेंट के सदस्यों का ऐसा मानना है कि गर्भ में पल रहे भ्रूण से उसकी इच्छा के बगैर उसे पैदा करना किसी अपराध से कम नहीं है।
इस समूह के सदस्यों के मुताबिक, माता-पिता भविष्य में आने वाली कठिनाइयों के बारे में नहीं सोचते हैं जिससे बच्चे को जिंदगी में कई ऐसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जिसके लिए वह मानसिक रूप से तैयार नहीं होता है।
माता-पिता के इसी सोच का विरोध करने के लिए मुंबई में ‘Anti-Natalism Movement’नामक एक आंदोलन की नींव भी रखी गई।
आंदोलन के कार्यकर्ताओं में से एक हैं राफायेल सैमूयल, जो कि मूल रुप से मुंबई के ही रहने वाले हैं। राफायेल का कहना है कि मां-बाप की इच्छा से ही एक बच्चा धरती पर अपना पहला कदम रख रहा है।
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बच्चे को पैदा करने से पहले मां-बाप उसकी इच्छा के बारे में जानना जरुरी नहीं समझते हैं जिससे आने वाले समय में वही बच्चा कई परेशानियों से घिर जाता है।
पढ़ाई- लिखाई से लेकर रोजगार संबंधित अनेक मुश्किलों में से होकर उसे अपनी जिंदगी बितानी पड़ती है।
27 वर्षीय राफायेल इस आंदोलन के माध्यम से लोगों को जाग्रत करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सहारा भी ले रहे हैं।
सैमूयल का मानना है कि इंसान को अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने का पूरा हक है और इसे उससे कोई छीन नहीं सकता है।