पिथौरागढ़ का एक ऐसा अभिशप्त शिव मंदिर जो केवल एक रात में बना, जानें क्या है कहानी

पिथौरागढ़| वैसे तो आप भगवान शिव को समर्पित देश के अधिकांश मंदिरों के बार में जानते ही होंगे, लेकिन इस लेख में आज हम आपको शिव के एक ऐसे अज्ञात स्थल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे एक रात में वो भी एक हाथ के द्वारा बनाया गया था। इस तथ्य पर शायद आपको विश्वास न हो पर यह सच्चाई है।

कहां स्थित है ये शिव मंदिर –

भगवान शिव का यह विचित्र और अभिशप्त से भरा मंदिर भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़, बल्तिर गांव में स्थित है। इस मंदिर का नाम एक हथिया देवाल है, क्योंकि इसका निर्माण एक हाथ के द्वारा किया गया था।

पिथौरागढ़ का एक ऐसा अभिशप्त शिव मंदिर

स्थानीय जानकारी के अनुसार बनाने वाले एक कारीगर ने भगवान शिव के इस अनोखे देवालय को अपने एक हाथ से ही बना डाला था। इस देवालय को लेकर कई दिलचस्प और रोचक कहानियां जुड़ी हुई हैं, जिसके बारे में हम नीचे जिक्र करेंगे। बता दें कि इस मंदिर को भगवान शिव के ‘अभिशप्त देवालय’ के नाम से भी जाना जाता है।

भले इस मंदिर में लोग शिव की पूजा करने से डरते हों, पर मंदिर की वास्तुकला और कलाकृतियां यहां आने वाले आगंतुकों को बहुत हद तक प्रभावित करती है। जब पर्यटकों को देवालय देखने के बाद यह पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण कारीगर के एक हाथ के द्वारा हुआ है, तो वे आश्चर्यचकित हो उठते हैं। मंदिर किसी भव्य आकृति के रूप में नहीं है, बल्कि एक चट्टान को काटकर बनाया गया छोटो सा शिवालय है।

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कैसे पहुंचें –

यह मंदिर राज्य के पिथौरागढ़ से 70 कि.मी की दूरी पर थल कस्बे से 6 कि.मी के फासले पर स्थित बल्तिर गांव में मौजूद है। जहां आप देहरादून के रास्ते आसानी से पहुंच सकते हैं। पिथौरागढ़ से थल के लिए आपको सुगम सड़क परिवहन मिल जाएंगे। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा देहरादून स्थित जॉलीग्रांट है। रेल मार्ग के लिए आप टनकपुर (हल्द्वानी) पिथौरागढ़ रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं।

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क्या है कहानी – 

भगवान शिव के इस अद्भुत मंदिर से एक रोचक किवंदती जुड़ी है, माना जाता है कि इस गांव कोई शिल्पकार रहता था, जो पत्थरों को तराश कर आकर्षक मूर्तियां बनाने का काम करता था। माना जाता है कि किसी हादसे में उसका एक हाथ खराब हो था, जिसकी वजह से गांव में उसे काफी उलाहनों का सामना करना पड़ता था।

उसने लोगों से तंग आकर गांव छोड़ने का निर्णय किया लेकिन जाने से पहले उसने एक देवालाय का निर्माण करने की सोची। उस रात वो अपने औजारों को लेकर गांव के पास मौजूद चट्टानी क्षेत्र में गया और अपने एक हाथ से शिवालय का निर्माण कर डाला।

माना जाता है कि उसने पूरी रात लग कर इस संरचना का निर्माण किया था। जिसके बाद वो फिर दोबारा गांव में नहीं दिखा। उसे ढूंढने की कोशिश की गई पर वो कहीं नहीं मिला।

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