विश्व प्रसिद्ध हैं गुजरात के यह खास मंदिर, जहां दर्शन मात्र से ही दूर हो जाते हैं भक्तों के कष्ट

हिंदू धर्म के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म दिन दो दिन मनाया जाएगा। एक जिन वृंदावन में जन्मोत्सव होता है तो दूसरे दिन मथुरा में। मान्यता है कि देवी देवकी ने कंस को काल कोठरी में भगवान कृष्ण को जन्म दिया था। इनके जन्मदिवस को पूरे भारत में बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। यह एक विशेष त्योहारों में से एक है। इस दिन घर को पूरी तरह से सजाया जाता है। साथ ही व्रत भी रखा जाता है। आज हम आपको गुजरात के कुछ खास कृष्ण के मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं।

द्वारकाधीश मंदिर

गुजरात का कृष्ण का सबसे महत्वपूर्ण मंदिर द्वारकाधीश प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का धार्मिक महत्व इस मंदिर को विश्व में एक अलग ही स्थान पर ले गया है। द्वारका का शाब्दिक अर्थ है ‘मुक्ति का द्वार’। इस मंदिर में कृष्णजी द्वारकाधीश रुप में स्थापित है। यह मंदिर पांच मंजिला बना हुआ है। इस मंदिर को खड़ा करने में 72 स्तंभों का इस्तेमाल किया गया है। इस मंदिर को जगत मंदिर या निजा मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह यहां का सबसे प्राचीन मंदिरों में शुमार है जिसका निर्माण कुछ 2000 साल पहले किया गया था।

शामलाजी मंदिर

आपको गुजरात में भगवान कृष्ण के बहुत विशाल मंदिरों को देखने का सौभाग्य प्राप्त होगा। आप गुजरात के शामलाजी मंदिर के भी दर्शन कर सकते हैं। यह मंदिर यहां के मुख्य मंदिरों में शुमार है। श्रीकृष्ण को यहां भगवान विष्णु के श्याम अवतार के रूप में चित्रित किया गया है और उनकी पूजा एक ग्वाल के रूप में की जाती है। इसके अलावा कृष्ण को गाय अति प्रिय तो इस मंदिर में गाय की भी प्रतिमाएं हैं और उनकी विधिवत पूजा की जाती है। यह मंदिर धरती से 320 फीट की ऊंचाई पर है।

भालका तीर्थ

गुजरात का कृष्ण को समर्पित भालका तीर्थ स्थल काफी जाना जाने वाला स्थान है। माना जाता है कि यहां पर एक शिकार ने कृष्ण पर तीर चला दिया था। उसके बाद भगवान कृष्ण ने धरती छोड़कर नीजधाम प्रस्थान किया था। यह मंदिर ठीक उसी स्थान पर बनाया गया था जिस स्थान पर शिकारी ने कृष्ण का तीर से शिकार किया था।

बेत द्वारका

यह एक धर्म के साथ-साथ रोमंचक मंदिर भी है। यहां तक का सफर आपको नाव के सहारे से करना होता है। इस मंदिर को गुजरात क्या पूरे भारत में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। यह भगवान का वास्तविक स्थान माना जाता है। यहां पर ऐसा माना जाता है कि जो भगवान की जो मूर्ति मौजूद है उसका निर्माण उनकी पत्नी रुक्मिणी ने किया था। ऐसा भी माना जाता है कि यहां पर ही कृष्ण क प्रिय मित्र सुदामा कृष्ण से यहीं पर मिलने आए थे। साथ ही उन्होंने कृष्ण को भेट में चावल दिए थे। यही वजह है कि यहां कि मान्यता है कि अगर भगवान को यहां चावल चढ़ाएं जाएं तो भगवान खुश हो जाते हैं।

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