मोदी सरकार के लिए खड़ी हुई मुसीबत, अगर ऐसा हुआ तो पांचों विधानसभा चुनाव हारेगी भाजपा

मोदी सरकारनई दिल्ली : आगामी पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में मोदी सरकार को सर्जिकल स्ट्राइक का लाभ मिलने के अनुमान राजनीतिक तौर पर लगाए जा रहे थे। जिन राज्यों में चुनाव होने है उनमें सबसे अहम यूपी है।

भाजपा किसी भी सूरत में यूपी को अपने हांथ से नहीं जाने देना चाहती। बीजेपी ने अभी तक अपना सीएम कैंडिडेट नहीं घोषित किया है। लेकिन पार्टी पीएम मोदी और विकास के नाम पर चुनाव जीतने को लेकर आश्वस्त है।

मोदी सरकार कैसे निपटेगी इस संकट से

इन सबके बीच एक ऐसा मुद्दा है जो चुनाव में अपना अपना रंग दिखा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो सैनिकों के साथ दिवाली मनाने और सैनिकों तक संदेश पहुंचाने जैसे अभियान भी चुनाव में जीत नहीं दिला पाएंगे।

भले ही मोदी सरकार ने बॉर्डर पर सैनिकों को खुली छूट दे रखी हो लेकिन वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर पूर्व सैनिक के सूइसाइड के बाद मोदी सरकार की मुश्किल बढ़ने के आसार हैं। सरकार को सेना से जुड़े लोगों से कई मुद्दों पर नाराजगी का भी सामना करना पड़ रहा है।

सिविलियन अफसरों के मुकाबले सेना के अफसरों की ‘डाउनग्रेडिंग’ का मामला रक्षा मंत्रालय के लिए मुसीबत बन गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक 18 अक्टूबर के एक आदेश के हवाले से यह जानकारी सामने आई तो सरकार ने पहले तो किसी ‘डाउनग्रेडिंग’ से इनकार कर दिया।

लेकिन सोशल मीडिया में ऐसे दस्तावेज पेश किए गए, जिनमें 1992 के आदेश में मेजर जनरल को जॉइंट सेक्रेटरी के बराबर बताया गया है जबकि 18 अक्टूबर के एक आदेश में मेजर जनरल को प्रिंसिपल डायरेक्टर के बराबर बताया गया है। सेना से जुड़े लोगों में नाराजगी के बाद सरकार इस पर दोबारा से विचार करने को तैयार हुई।

मंत्रालय ने एक निर्देश 30 सितंबर को जारी किया था, जिसके तहत विकलांगता पेंशन की गणना के लिए 1 जनवरी 2016 से स्लैब आधारित सिस्टम की शुरुआत की गई थी। इसके पीछे सातवें वेतन आयोग की मंजूर की गई सिफारिशों का हवाला दिया गया था। इसमें अफसरों के लिए 27 हजार रुपये 100 फीसदी विकलांगता पर पेंशन, 17 हजार रुपये जेसीओ के लिए और अन्य के लिए 12 हजार रुपये। इससे पहले विकलांगता पेंशन की गणना छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक सिविलयनों की तरह अंतिम सैलरी के प्रतिशत के आधार पर होती थी।

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