मुश्किलें आती हैं, क्या इनकी वजह से 2020 को बुरा मान लेना चाहिए : पीएम मोदी मन की बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा 6-7 माह पहले ये कहां जानते थे कि कोरोना जैसा संकट आएग औऱ इसके खिलाफ यह लड़ाई इतनी लंबी चलेगी। यह संकट बना ही हुआ है। अभी कुछ दिन पहले पूर्वी छोर पर साइक्लोन एम्फाल आया तो पश्चिमी छोर पर साइक्लोन निसर्ग आया। कितने ही राज्य टिड्डी दल के हमले से परेशान है। वहीं देश के कुछ हिस्सों में कई बार छोट-छोटे भूकंप रुकने का नाम नहीं ले रहे। वहीं इन सब के बीच हमारे पड़ोसियों द्वारा जो किया जा रहा देश उन चुनौतियों से भी निपट रहा है।

मुश्किलें आती हैं, संकट आते हैं लेकिन सवाल है कि क्या इन आपदाओं की वजह से हमें साल 2020 को खराब मान लेना चाहिए? क्या पहले के 6 माह जैसे बीते उसके वजह से यह मान लेना चाहिए कि पूरा साल ऐसा होगा। जी नहीं। एक साल में एक चुनौती आए या पचास चुनौतियां नंबर, कम या ज्यादा होने से वो साल खराब नहीं हो जाता।

भारत का इतिहास ही आपदाओं और चुनौतियों पर जीत हासिल कर ज्यादा निखरकर निकलने का रहा है। सैकड़ों वर्षों तक अलग-अलग आक्रांताओं ने भारत पर हमला किया उसे संकटों में डाला, लोगों को लगता था कि भारत की संरचना ही नष्ट हो जाएगी। लोगों को लगता था कि भारत की संस्कृति ही समाप्त हो जाएगी लेकिन इन संकटों से भारत और भी भव्य होकर सामने आया।
भारत ने हमेशा, संकटों को सफलता की सीढियों में परिवर्तित किया है। इसी भावना के साथ हमें आज भी इन सारे संकटों के बीच आगे बढ़ते ही रहना है। आप भी इसी विचार से आगे बढ़ेंगे, 130 करोड़ देशवासी आगे बढ़ेंगे तो यही साल देश के लिए नए कीर्तिमान बनाने वाला साबित होगा। इसी साल में देश नए लक्ष्य प्राप्त करेगा और नई उड़ा भरेगा। मुझे पूरा विश्वास 130 करोड़ देशवासियों की शक्ति पर है, आप सब पर है, इस देश की महान परंपरा पर है।

मन की बात के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि लद्दाख में भारत की भूमि पर आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब मिला है। भारत, मित्रता निभाना जानता है तो आंख में आंख डालकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है। हमारे वीर सैनिकों ने दिखा दिया है कि वो कभी भी मां भारती के गौरव पर आंच नहीं आने देंगे।
लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है, श्रद्धांजलि दे रहा है। पूरा देश उनका कृतज्ञ है, उनके सामने नत-मस्तक है। इन साथियों के परिवारों की तरह ही हर भारतीय इन्हें खोने के दर्द का भी अनुभव कर रहा है। जिनके बेटे शहीद हुए वो माता-पिता अपने दूसरे बच्चों को भी सेना में भेजने की बात कर रहे हैं। बिहार के शहीद कुंजन कुमार के पिता के शब्द कानों में गूंज रहे हैं। वो कह रहे हैं कि अपने पोतों को भी देश की रक्षा के लिए सेना में भेजेंगे। यह हौंसला शहीद के परिवारों का है।

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