मिल गया पवनपुत्र हनुमान के जीवित होने का प्रमाण, जो है रहस्यों से भरपूर…

पवनपुत्र हनुमान की महिमा का गुणगान जितना किया जाए उतना कम है। बजरंगबली के बारे में ऐसा कहा जाता है कि वे अमर हैं। इस कलियुग में भी हनुमान जी हिमालय की जंगलों में रहते हैं, लेकिन उनकी मौजूदगी के प्रमाण अब तक नहीं मिल सकें हैं।

पवनपुत्र हनुमान

हालांकि कुछ साल पहले यह खबर सूर्खियों में आई थी कि हनुमान जी अब भी अपने भक्तों की पुकार सुन उनके पास आते हैं।

मीडिया रिपोर्ट से मिली सूत्रों के अनुसार, श्रीलंका के जंगलों में ‘मातंग’ नाम की एक जनजाती निवास करती है। इन कबीलाई लोगों का कहना है कि आज भी उनसे मिलने हनुमान जी आते हैं।

एक अंग्रेजी अखबार ने इन जनजातियों पर अध्ययन करने वाले आध्यात्म‍िक संगठन ‘सेतु’ के हवाले से इस सनसनीखेज खोज का खुलासा किया है।

कहा गया है कि, हनुमान जी इस जनजाति के लोगों से साल 2014 में मिलने आए थे। अब दोबारा 41 साल बाद वो फिर से आएंगे। यानि साल 2055 में बजरंगी अपने भक्तों से मिलने फिर से यहां आएंगे।

‘मातंग’ एक ऐसी जनजाति है जो श्रीलंका के अन्य कबीलों से बिल्कुल अलग है। इनकी संख्या भी बेहद कम है।

सेतु नामक संगठन के मुताबिक, ‘मातंग’ समुदाय का इतिहास रामायण काल से जुड़ा है। जैसा कि आप जानते ही हैं कि हनुमान जी को वरदान मिला था कि उनकी मृत्यु कभी भी नहीं होगी।

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भगवान राम के स्वर्ग गमन के बाद हनुमान जी अयोध्या से दक्ष‍िण भारत के जंगलों में चले गए। तत्पश्चात समंदर को दोबारा लांघकर वो श्रीलंका पहुंचे।

उस दौरान हनुमान जी जब तक वहां ठहरे, ‘मातंग’ कबीले के लोगों ने उनकी खूब सेवा की।

इस सेवा के बदले हनुमान जी ने इस कबीले के लोगों को ब्रह्मज्ञान का बोध कराया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी वादा किया कि वे हर 41 साल बाद उनसे मिलने जरूर आएंगे।

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