भूमाफियाओं ने भारत रत्न की जन्मस्थली भी नहीं छोड़ी

पटना। यहां से करीब 110 किलोमीटर दूर डुमरांव में शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्ला खां की जन्मस्थली है, जहां उन्होंने अपने जीवन के शुरुआती छह-सात साल बिताए थे। इस बीच, कई मुख्यमंत्री आए, जिन्होंने उनके घर को संरक्षित करने और शहर के विकास के वादे किए, पर जमीनी स्तर पर कुछ भी नजर नहीं आया।

अब एक संगीतकार, कवि और दो रंगकर्मियों ने असामाजिक तत्वों द्वारा इस संपत्ति तथा आसपास की भूमि को हथियाने के विरोध में बिहार सरकार को याचिका देते हुए कहा है कि उस घर से बच्चों के लिए एक आंगनवाड़ी डे-केयर सेंटर जबरन चलाया जा रहा है।

राज्य सरकार को यह याचिका तब दी गई है, जब घर के केयरटेकर सुभान खां ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत में कहा गया है कि संपत्ति को हथियाने की कोशिशें की जा रही हैं।

डुमरांव के जिलाधिकारी प्रमोद कुमार ने कहा कि इस मामले की जांच जारी है। दोषी के खिलाफ जल्द कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

संगीतकार व पद्मश्री विजेता गजेंद्र नारायण सिंह ने कहा, “बिस्मिल्ला खां की पैतृक संपत्ति देश और यहां के लोगों की विरासत है। सरकार को इसकी रक्षा करनी चाहिए।”

संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष प्रख्यात हिन्दी कवि आलोक धन्वा ने कहा कि सरकार को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “यह शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोगों ने कथित तौर पर बिस्मिल्ला खां के पैतृक मकान को हथियाने की कोशिश की है। हम इसके खिलाफ प्रदर्शन करेंगे।”

रंगकर्मी अनीष अंकुर और जय प्रकाश ने कहा कि इस संपत्ति को हथियाने की कोशिश से साफ हो गया है कि बिहार के कई शीर्ष नेताओं द्वारा इसके विकास का वादा किए जाने के बावजूद इसकी वर्षो से उपेक्षा की गई।

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उन्होंने कहा, “जिस घर को विरासत संपदा के तौर पर संरक्षित किया जाना था, उस पर अतिक्रमण हो रहा है। यह अस्वीकार्य है।”

बक्सर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा डुमरांव के स्थानीय बाशिंदों ने माना कि देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजे गए बिस्मिल्ला खां को अपने ही गृहनगर में उचित सम्मान नहीं मिला।

बिहार के दो मुख्यमंत्रियों ने इस संपत्ति के विकास का वादा किया था, लेकिन इस संबंध में खानापूर्ति के अतिरिक्त कुछ भी नहीं किया गया।

लालू प्रसाद ने 1994 में बिस्मिल्ला खां की याद में टाउन हॉल सह पुस्तकाल के लिए शिलान्यास किया था। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2006 के अगस्त में शहनाई वादक के निधन के बाद उनकी आदमकद प्रतिमा लगाने और संग्रहालय बनाने की घोषणा की थी।

बिस्मिल्ला खां पर पुस्तक लिखने वाले मुरली मनोहर श्रीवास्तव का कहना है, “लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ। यहां तक कि लालू प्रसाद ने जिस मार्बल फाउंडेशन की नींव रखी थी, वह भी डुमरांव पुलिस थाने में धूल फांक रही है।”

उन्होंने कहा, “यह बिडंबना है कि उस्ताद की जन्मस्थली के विकास का वादा अब तक पूरा नहीं किया जा सका और यह चुनावी मुद्दा नहीं रहा।”

बिस्मिल्ला खां का जन्म 21 मार्च, 1913 को डुमरांव के भिरंग रौत की गली स्थित एक घर में हुआ था। उनका नाम कमरुद्दीन रखा गया था। स्थानीय लोगों के अनुसार, उनके पूर्वज संगीतकार थे और डुमरांव के पूर्व शाही राज्य में नक्कारखानों में प्रस्तुति देते थे। उनके पिता महाराजा केशव प्रसाद सिंह के दरबार में शहनाई वादक थे।

बिस्मिल्ला खां पांच-छह साल की उम्र में ही बनारस अपने नाना के घर चले गए थे, जहां उन्हें मामा अली बख्श ‘विलायतु’ से शहनाई बजाने की तालीम मिली, जो काशी विश्वनाथ मंदिर में शहनाई वादक थे।

बिस्मिल्ला खां का निधन 21 अगस्त, 2006 को हुआ। उन्हें देश के चारों शीर्ष नागरिक सम्मानों- पद्मश्री (1961), पद्म भूषण (1968), पद्म विभूषण (1990) और भारत रत्न (2001) से सम्मानित किया जा चुका है।

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