बलूचिस्तान विद्रोह और आपराधिक गतिविधयों का ‘कॉकटेल’
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत बलूचिस्तान को एक युद्ध क्षेत्र बताते हुए प्रदेश सरकार ने आतंकवाद से निपटने के लिए व्यापक अधिकार की मांग की है। राज्य के गृहसचिव मोहम्मद अकबर ने मानवाधिकारों पर सीनेट की कार्यात्मक समिति की गुरुवार को हुई एक बैठक में कहा, “प्रांतीय प्रशासन के पास कोई वैधानिक शक्ति नहीं है, जबकि राज्य एक युद्ध क्षेत्र बन गया है।”
समाचार पत्र डॉन के अनुसार, अकबर ने कहा कि अपराधों को कम करने और आतंकी कार्रवाई को राकने के लिए सीमाई अपराध नियमन के तहत बलूच को 1958 के पूर्व की शक्तियों की जरूरत है।
समिति के सदस्य, खास तौर पर बलूच नेशनल पार्टी-मेंगल के सीनेटर जहांजेब जमलदिनी ने आतंकी हमले रोकने में विफल रहने के लिए संघीय और प्रांतीय सरकारों की आलोचना की।
गत आठ अगस्त को क्वेटा के अस्पताल में हुए आत्मघाती आतंकी हमले में जमलदिनी के पुत्र की भी मौत हुई थी।
सीनेटर ने जानना चाहा कि बलूच में स्थिरता बहाल करने के लिए किसके पास शक्तियां हैं।
अकबर ने कहा, “बलूच विद्रोह, धार्मिक आतंकवाद और अन्य आपराधिक गतिविधयों का ‘कॉकटेल’ बन गया है। हम नहीं छिपा सकते हैं कि बलूचिस्तान में व्यवस्था चरमरा गई है।”