नंद के घर आनंद भयो….जय कन्‍हैया लाल की

लखनऊ। कन्‍हैया के अनेक रूप हैं। बिहारी लाल की लीला ही कुछ ऐसी है जो भी एक बार उनके दर्शन कर लेता है बस उनका ही होकर रह जाता है। मुरली मनोहर का जन्म है तो उत्सव तो खास होगा ही। लखनऊ के इस्कॉन मंदिर में लड्डू गोपाल के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। देशभर के मंदिरों में बाल गोपाल के जन्म लेते ही जयकारे लगने लगे हैं। नन्हे कान्हा के दर्शन के लिए मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी हुई है।

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जन्माष्टमी के मौके पर हर कोई कृष्ण के रंग में ही रंगा दिखा। खासतौर पर नन्हे-मुन्ने बच्चे भी छोटे कान्हा और मनमोहक राधा-रानी की तरह सज-धज कर भगवान की भक्ति करते दिखे। माथे पर मुकुट और मोर पंख, गुलाबी गाल और चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान अभिषेक किया और मक्खन मिश्री का भोग लगाया

देर रात में देवकी नंदन का जन्म हुआ। और मंदिरों में कृष्ण-कन्हैया का पंचामृत से अभिषेक किया गया। मक्खन मिश्री का भोग लगाकर पूजा-अर्चना की। श्रद्धालुओं ने पूरे दिन व्रत रखा और देर रात में अपने सामर्थ्‍य से भगवान को भोग लगाकर व्रत पूर्ण किया। श्री गोपाल गौशाला में गौधन और श्रद्धालुओं ने मिलकर अपने आराध्य श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया। गोपाल मंदिर को फूलों से सजाया गया। भगवान कृष्ण के हजार नामों का जाप किया गया।

मंदिरों में मनमोहक रही झांकियां

शहर के अलग-अलग मंदिरों में कृष्ण-कन्हैया की विभिन्न झांकियां बनाई गई। श्रद्धालुओं ने लंबी-लंबी लाईनों में लगकर झांकियों के दर्शन किए।

बालकृष्ण को झूला झूलाया

लोगों ने अपने घर में झूले पर बालकृष्ण को बैठाया और श्रद्धा-उल्लास में लोगों ने अपने छोटे बच्चों को कृष्ण की पोशाक पहनायी। श्रद्धालुओं ने मंदिर में श्रीबांके बिहारी को झूला झूलाया।

इस बार 25 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन मनाया गया। शहर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर मंदिरों व घरों खासी रौनक रही। शहर में जगह-जगह मटकी फोड़ प्रतियोगिता भी होंगी और झांकियां भी सजाई जाएंगी।

ज्योतिष पंचांग के अनुसार 25 अगस्त को सूर्योदय से दोपहर 12 बजकर 6 मिनट तक कृतिका नक्षत्र में यम घट ज्वालामुखी योग रहा। इसके बाद रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ होकर 26 अगस्त की सुबह 10 बजकर 52 मिनट तक रहा। इसमें 25 अगस्त की रात 8 बजकर 8 मिनट तक ही अष्टमी तिथि रहाा। इसके बाद नवमी तिथि 26 अगस्त की शाम 6 बजकर 14 मिनट तक रही।चूंकि तिथि का महत्व सूर्योदय से प्रभावी होता है। इस कारण 25 तारीख को निशीथ काल (अर्धरात्रि में) ही रोहिणी नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई गयी।

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