
नई दिल्ली। देश के असंगठित क्षेत्र के विशाल व्यापार क्षेत्र में लगभग 6.34 करोड़ व्यावसायी हैं लेकिन उनके लिए न तो कोई व्यापार नीति है, न ही पृथक रूप से कोई मंत्रालय है। कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने यह ध्यान दिलाते हुए केंद्र सरकार से मांग की है की खुदरा व्यापार के लिए एक राष्ट्रीय व्यापार नीति बनाने के साथ ही केंद्र में एक आंतरिक व्यापार मंत्रालय का गठन किया जाए। कैट ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि कृषि के बाद देश में रोजगार देने वाला यह सबसे बड़ा क्षेत्र है जिसको अक्सर छिपे रोजगार का स्त्रोत भी कहा जाता है।
नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन (एनएसएसओ) द्वारा हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2015 -2016 के बीच हुए एक सर्वे के अनुसार देश में 6.34 करोड़ गैर कृषि व्यावसायी हैं जिनमें निर्माण क्षेत्र में काम करने वाले शामिल नहीं है। इनमें से 51 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र में जबकि 49 प्रतिशत शहरी क्षेत्र में है। इन व्यवसायिओं में 31 प्रतिशत मैन्युफैचरिंग, 36.3 प्रतिशत ट्रेडिंग एवं 32.6 प्रतिशत अन्य सेवाओं में है। लगभग 84.2 प्रतिशत ऐसे व्यवसायी हैं जिनके पास एक भी कामगार नहीं है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी. भारतीय एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, “इस रिपोर्ट से देश के खुदरा व्यापार की सही तस्वीर सामने आई है और यह साबित होता है की इस व्यापार में अर्थव्यवस्था और जीडीपी की वृद्धि करने की बड़ी संभावनाएं है, लेकिन उसके लिए खुदरा व्यापार को समर्थित नीतियों के द्वारा सुगठित करना बेहद जरूरी है।”
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उन्होंने कहा, “इन व्यवसायिओं को औपचारिक वित्तीय सहायता और जरूरी टेक्नोलॉजी मुहैया कराई जानी चाहिए, जिससे वर्तमान व्यापार के स्वरुप को उन्नत और आधुनिक किया जा सके। इसके साथ ही एक रिटेल रेगुलेटरी अथॉरिटी भी गठित की जाए जो इस व्यापार की देख रेख करे, शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में खुदरा व्यापार का विस्तार किस प्रकार से हो यह भी देखना जरूरी होगा।”
सर्वे के अनुसार इस क्षेत्र में लगभग 11.3 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है जिसमें से 34.8 प्रतिशत व्यापार में, 32.8 प्रतिशत अन्य सेवाओं में ओर 32.4 प्रतिशत विनिर्माण क्षेत्र में है, जिसमें से लगभग 55 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में ओर 45 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में काम करते हैं।
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इनमें से 98.3 प्रतिशत संस्थान स्थायी रूप से जबकि 1.3 प्रतिशत सीजनल एवं 0.4 प्रतिशत कैजुअल रूप से काम करते हैं। इस क्षेत्र का सकल मूल्य संस्करण लगभग 11,52,338 करोड़ रुपये वार्षिक है, जिसमें से 70 प्रतिशत शहरी क्षेत्र में ओर 30 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्र में है।