देव वाणी ‘संस्कृत’ से चमक रहा मुसलमानों का कारोबार
नई दिल्ली। बीते काफी समय से मुसलमान राष्ट्रगीत, राष्ट्रगान और तिरंगे को लेकर टारगेट पर हैं। अगर आपको यह पता लगे कि इस्लाम को मानने वाले मुसलमानों ने देव वाणी संस्कृत को सिर आंखों पर बैठाया है। साथ ही मुस्लिम संस्कृत की वजह से अपना व्यवसाय खूब चमका रहे हैं, तो शायद आपको भरोसा न हो। लेकिन जब आपके कांनों में मुस्लिमों द्वारा बोली जा रही देव वाणी संस्कृत भाषा पड़ेगी तो यकीं हो ही जाएगा। इतना ही नहीं मुसलमानों की जुबां से ग्राहकों को संस्कृत में लुभाना भी देखते ही बनता है।
रांची के मुस्लिम बहुल, बहू बाजार और कर्बला चौक पर फल और सब्जी बेचने वाले मुस्लिम व्यवसायी बाकायदा फल-सब्जियों के नाम संस्कृत में लिखी तख्ती को लटकाकर इन दिनों अपना व्यवसाय खूब चमका रहे हैं।
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आगच्छतु…. आगच्छतु…. आगच्छतु… अत्र आलुकम् अस्ति, वार्तिकी अस्ति,गोजिह्वा च अस्ति एवं भवतां रच्याः अनुगुणं नूतनानि हरितानि शाकानि। अर्थात, आइए, आइए, आइए, यहां आलू है, टमाटर है, फूलगोभी है और आपके पसंद की हरी सब्जियां।
झारखंड की राजधानी रांची की व्यस्त सड़कों के किनारे से छोटे-छोटे दुकानों से आ रही ये आवाजें सुन हर कोई भी पहली बार में चौंक जाएगा। आप सोचने को मजबूर हो जाएंगे कि आखिर जो मुस्लिम भारत माता की जय बोलने में आपत्ति जताते हैं, वो देववाणी संस्कृत में बात कैसे कर रहे हैं।
लेकिन इनकी जुबां से ग्राहकों को संस्कृत में लुभाना भी देखते ही बनता है। संस्कृत में ग्राहकों को बुलाने से लेकर संस्कृत के नाम से बिक रही सब्जियों को देखकर ग्राहक भी खिंचे चले आ रहे हैं। संस्कृत भाषा के नाम से सब्जी से लेकर श्रृंगार तक के सामान खरीदकर ग्राहक भी गुमान कर रहे हैं।
इस नए प्रयोग से मुस्लिम व्यवसायी अपनी बढ़िया आमदनी को देख बेहद खुश हैं। एक सवाल के जवाब में एक व्यवसायी ने कहा, ‘भाई जान भाषा धर्म और मजहब कभी बैर नहीं सिखाते। बस नेतागिरी और वोट बैंक के चक्कर में यह सब दुराव होता जा रहा है’। वहीं बाजाप में सामान खरीदने आए छात्र ने कहा, ‘संस्कृत उनका विषय नहीं रहा, किसी ने बताया भी नहीं, लेकिन अब इसे सीखने की कोशिश जरूर करूंगा’।
‘संस्कृत भारती’ संस्था की अनूठी पहल
दरअसल संस्कृत का यह बाजार अखिल भारतीय संस्थान ‘संस्कृत भारती’ के प्रयास से लगा है। यह संस्था मुस्लिम व्यवसायियों को सहयोग देने के लिए हमेशा खड़ी रहती है। ग्राहकों को यदि भाषा समझने में कठिनाई हो रही हो तो संस्था के सदस्य पूरा सहयोग करते हैं।
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इतना ही नहीं संस्कृत भाषा से संबंधित कोई अन्य जानकारी भी चाहिए तो वो भी यहां उपलब्ध होता है। संस्कृत भारती संस्था संस्कृत में रुचि रखने वालों के लिये एक साप्ताहिक क्लास भी चलाने का कार्य करती है।
साभार : फर्स्ट पोस्ट