जानिए डाकू से सांसद बनीं फूलन देवी की रोंगटे खड़े कर देने वाली कहानी, 22 लोगों को मारी थी गोली
डाकू से सांसद बनीं फूलन देवी की जिंदगी का सफर रोंगटे खड़े करने वाला है। फूलन देवी भारत की एक राजनेता थीं जो डकैत से सांसद बनी| उनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव गोरहा का पूर्वा में एक मल्लाह के घर हुआ था। उनकी शादी ग्यारह साल की उम्र में हो गई थी लेकिन उनके पति और पति के परिवार ने उन्हें छोड़ दिया था। एक वक्त ऐसा था जब डर का दूसरा नाम फूलन देवी हुआ करती थीं। उनको बेहमई गांव में एक घर के एक कमरे में बंद कर दिया गया था। तीन सप्ताह तक उच्च जाति के ठाकुरों द्वारा उसे पीटा गया, बलात्कार किया गया और अपमानित किया गया। उन्होंने उसे गाँव के चारों ओर नग्न कर घूमा दिया। इसके बाद वह तीन सप्ताह की कैद से भागने में सफल रहीं|
लेखिका माला सेन ने फूलन देवी की जिंदगी पर ‘बैंडिट क्वीन: द ट्रू स्टोरी ऑफ फूलन देवी’ किताब लिखी थी। जिस पर 1994 में शेखर कपूर ने फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ बनाई। फिल्म में सीमा बिश्वास ने मुख्य किरदार निभाया था। उस साल इस फिल्म को बेस्ट फीचर फिल्म का नेशनल अवॉर्ड मिला था। साथ ही फिल्मफेयर का बेस्ट फिल्म क्रिटिक्स अवॉर्ड और बेस्ट डायरेक्शन का भी अवॉर्ड मिला था। आज फूलन देवी का जन्मदिन है।
उस वक्त फिल्म को लेकर कई विवाद हुए और इसे विरोध का भी सामना करना पड़ा। यही नहीं कहा जाता है फूलन देवी ने कई थियेटर मालिकों को फिल्म नहीं रिलीज करने की धमकी भी दी, हालांकि जब ‘चैनल 4’ के निर्माताओं की ओर से उन्हें 32 लाख रुपये दिए गए तो फूलन देवी ने फिल्म का विरोध बंद कर दिया। अंतत: फिल्म को कोर्ट के आदेश के बाद रिलीज किया गया।
आज का पंचांग, 10 अगस्त 2019, दिन- शनिवार
10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन के घूरा का पुरवा गांव में फूलन देवी का जन्म एक मल्लाह परिवार में हुआ था। फूलन देवी का बचपन बेहद गरीबी में बीता था लेकिन वो बचपन से ही दबंग थीं। 10 साल की उम्र में जब उन्हें पता चला कि चाचा ने उनकी जमीन हड़प ली है तो चचेरे भाई के सिर पर ईंट मार दी थी। फूलन के घरवाले उनकी इस हरकत से इतना नाराज हो गए थे कि महज 11 साल की उम्र में 35 साल बड़े आदमी से शादी कर दी थी। शादी के बाद उनके पति ने रेप किया, धीरे-धीरे फूलन की तबीयत इतनी बिगड़ गई कि उन्हें मायके आना पड़ गया।
फूलन देवी जब वापस अपने ससुराल गईं तो पता चला कि उनके पति ने दूसरे शादी कर ली है। जिसके बाद पति और उसकी दूसरी पत्नी ने फूलन देवी को घर में घुसने नहीं दिया। इस दौरान फूलन देवी की मुलाकात कुछ ऐसे लोगों से हुई जो डाकुओंं के गैंग से थे। ये लोग उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बॉर्डर बुंदेलखंड में सक्रिय थे। बाद में फूलन देवी उन्हीं के गैंग में शामिल हो गईं और चंबल की मुख्य डाकुओं में से एक बनीं। इस गैंग में दो डाकुओं को फूलन देवी से प्यार हो गया, हालात ऐसे हो गए कि एक डाकू ने विक्रम मल्लाह नाम के दूसरे डाकू की हत्या कर दी।
इस घटना के कुछ समय बाद ही ठाकुरों के गैंग ने फूलन को किडनैप कर बहमई गांव ले गए और 3 हफ्ते तक गैंगरेप किया। यहां से किसी तरह बच निकलने के बाद फूलन डाकुओं के गैंग में शामिल हो गईं। 1981 में फूलन बहमई गांव गईं, जहां उनका रेप हुआ था। फूलन देवी ने रेप करने वाले दो लोगों को पहचान लिया। उसके बाद गांव के 22 ठाकुरों को गोली मार दी। फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ में भी यह दिखाया गया है। इस घटना के बाद ही फूलन देवी की चर्चा चारों ओर होने लगी और उनका नाम बैंडिट क्वीन पड़ गया।
2 साल बाद भी पुलिस फूलन देवी को पकड़ नहीं पाई थी, इस बात का राजनीतिक दबाव सरकार पर पड़ने लगा था। तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने फैसला किया कि फूलन देवी के सरेंडर करने पर उन्हें रियायत दी जा सकती है। इस वक्त तक फूलन की तबीयत अक्सर खराब रहने लगी थी और उनके गैंग के कई सदस्यों की मौत हो चुकी थी। 1983 में फूलन देवी सरेंडर करने पर राजी हुईं। उन पर 22 हत्या, 30 डकैती और 18 किडनैपिंग के चार्जेज लगे थे। 11 साल जेल में रहने के बाद 1993 में उन पर लगे सारे केस वापस ले लिए गए थे।
कहा जाता है जेल में फूलन देवी का यूटरस ऑपरेशन के जरिए निकाल दिया गया था। इस बारे में मशहूर लेखिका अरुंधती रॉय ने लिखा कि ‘बिना पूछे जेल में फूलन देवी का यूटरस ऑपरेशन के जरिए निकाल दिया गया था। इस दौरान डॉक्टर ने कहा था कि अब वो दूसरी फूलन नहीं पैदा कर पाएगी। एक औरत से उसके शरीर का अंग निकाल दिया जाता है और उससे पूछा तक नहीं जाता। ये हमारे समाज की सबसे बड़ी प्रॉब्लम है।’
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1994 में जेल से छूटने के बाद उन्होंने उम्मेद सिंह से शादी कर ली थी। 1996 में फूलन देवी ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर मिर्जापुर से चुनाव लड़ीं और वो सांसद बन गईं। साल 2001 में शेर सिंह राणा नाम का एक शख्स फूलन देवी से मिलने पहुंचा और घर के गेट पर ही उन्हें गोली मार दी। फूलन देवी को कुल 5 गोलियां मारी गई थीं, दो उनके सिर पर और दो उनके शरीर पर। शेर सिंह राणा का कहना था कि उसने बहमई हत्याकांड का बदला लिया है। 2014 में शेर सिंह राणा को दिल्ली की एक कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई थी।