
व्हाट्सएप मैसेज की ट्रैकिंग को लेकर सरकार और कंपनी के बीच पिछले साल से ही तनातनी चल रही है। वहीं सरकार ने कई बार व्हाट्सएप से इसकी जानकारी भी मांगी है कि कोई मैसेज पहली बार कहां से भेजा गया।
लेकिन व्हाट्सएप ने प्राइवेसी का हवाला देते हुए कह दिया कि मैसेज को ट्रैस नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह एंक्रिप्टेड है। वहीं अब मद्रास हाईकोर्ट में आईईटी मद्रास के प्रोफेसर वी कामकोटी ने कहा है कि तकनीकी रूप से व्हाट्सएप मैसेज के मूल (पहली बार कहां से आया मैसेज) का पता लगाया जा सकता है।
डोडा से लश्कर का आतंकी गिरफ्तार, हथियार भी बरामद !
बतादें की प्रोफेसर ने न्यायमूर्ति एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ को बताया कि व्हाट्सएप द्वारा यह संभव है कि जब भी कोई संदेश फॉरवर्ड किया जाए तो मैसेज के साथ मैसेज भेजने वाले का मोबाइल नंबर भी जाए, हालांकि इसके लिए व्हाट्सएप को डिजाइन करना होगा।
देखा जाये तो प्रोफेसर ने कोर्ट में तर्क दिया कि व्हाट्सएप यूजर्स की प्राइवेसी का दावा नहीं कर सकता जब कोई यूजर किसी की सहमति के बिना उसे मैसेज भेजता है। बता दें कि यह पूरा मामला एंटनी क्लेमेंट रुबिन द्वारा दाखिल जनहित याचिका से जुड़ा है लेकिन जिसमें उन्होंने साइबर क्राइम के मामले में आरोपियों की पहचान के लिए आरोपियों के सोशल मीडिया अकाउंट को आधार से लिंक करने की मांग की है।
दरअसल मॉब लिंचिंग की घटनाओं के बढ़ने के बाद सरकार अब व्हाट्सएप मैसेज को ट्रैक करना चाहती है। वहीं सरकार लगातार व्हाट्सएप से कह रही है कि ऐसा कोई फीचर लाया जाए जिससे यह पता लगाया जा सके कि पहली बार मैसेज कहां से भेजा गया।