जम्मू में पस्त हो रहा आतंक का कारोबार, अब नहीं पहुँच रही सीमा पार से मदद

जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है, यह बात साबित हो चुकी है। जांच एजेंसियां अब उन लोगों तक पहुंच रही हैं, जिन्होंने बड़े राजनीतिक पदों पर रहते हुए कथित तौर पर आतंकी संगठनों की प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष मदद की है।
पाकिस्तानी उच्चायोग, जम्मू-कश्मीर में अपनी गतिविधियां संचालित कर रहे अलगाववादी नेता और आतंकी संगठन, इनके गठजोड़ पर मुहर लगने के बाद जांच एजेंसी कुछ राजघरानों की ओर बढ़ रही है। हो सकता है कि आने वाले समय में कई ऐसे नेता, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर पर राज किया है, उनकी नींद उड़ जाए।
आतंक का कारोबार

जांच एजेंसियों ने ऐसे नेताओं के अल-उमर-मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के साथ कथित संबंधों का पता लगाया है। कुछ ऐसे ऑडियो टेप और तस्वीरें भी मिली हैं, जिनमें ये नेता अलगाववादियों के साथ आतंकी संगठनों के प्रतिनिधियों (एनजीओ) से बातचीत कर रहे हैं। जांच एजेंसियां अब ऐसे नेताओं से पूछताछ करने के लिए उन्हें समन भेजेगी।

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देश में आतंकियों को धन, तकनीकी संसाधन और दूसरी तरह की मदद कौन दे रहा है, जांच एजेंसियां इस सवाल का उत्तर तलाशने के लिए कई साल से जुटी थीं। अब इसका जवाब मिल गया है।
पाकिस्तान के आतंकियों को जम्मू-कश्मीर के कई संगठनों द्वारा मदद पहुंचाई जा रही है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अपनी चार्जशीट में पहले ही कह चुकी है कि दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग और जेएंडके के अलगाववादी संगठनों के जरिए सीमा पार से आतंकवादियों को आर्थिक एवं तकनीकी मदद मिलती है।
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