‘खुदा’ की इबादत के लिए ISIS करता है गैर-मुस्लिम महिलाओं से रेप

गैर-मुस्लिम महिलाओं सेबगदाद खौफ और दहशत फैलाने में ISIS बीते काफी सालों से सबसे ऊपर है। धर्म के नाम पर लोगों को अपने गुट में शामिल करना। गैर मजहबी लोगों के प्रति मुसलामानों में नफरत पैदा करना उनका मुख्य लक्ष्य है। पूरी दुनिया पर हुकूमत और इस्लाम का डंका बजाने की चाह में यह संगठन कितना मशगूल है, इसे लोग समझ नहीं पा रहे हैं। वहीं, ISIS के चंगुल से छूटी एक महिला ने जो सच बताया है उससे किसी की भी रूह कांप जाएगी। यह संगठन खुदा की इबादत के नाम पर गैर-मुस्लिम महिलाओं से रेप करता है।

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धर्म की आड़ में आतंक और दहशत फैलाना को इनका मुख्य पेशा है ही। लेकिन कहीं न कहीं यह संगठन महिलाओं की इज्जत को भी तार-तार कर रहा है। ख़ास बात यह है कि ये आतंकी इसे खुदा की इबादत का नाम देते हैं। 28 साल की नूर का जो एक यजीदी महिला हैं और ISIS  के चंगुल से किसी तरह बाहर निकल कर आई हैं।

बता दें नूर के पति अभी तक लापता हैं। नूर कहती हैं कि उन्हें 7 बार खरीदा और बेचा गया। हर दिन उनके साथ रेप किया गया। इतनी यातनाएं सहने के बाद भी नूर का मानना है कि उनके साथ हुए सलूक से बदतर बर्ताव कई अन्य महिलाओं के साथ हुआ।

जब ISIS ने नूर को पकड़ा था, उस समय उनकी दोनों बेटियों की उम्र क्रमश: 3 और 4 साल की थी। नूर खुद गर्भवती भी थीं। 15 महीने तक नूर और उनकी 2 छोटी बच्चियों को ISIS ने गुलाम बनाकर रखा।

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ISIS का मानना है कि गैर-मुस्लिम महिलाओं के साथ बलात्कार करना असल में अपने ‘खुदा’ की इबादत का एक तरीका है। ISIS ने अपने कब्जे वाले इलाके में कई ऐसे बाजार बनाए, जहां छोटी-छोटी बच्चियों और महिलाओं की नीलामी होती थी। यहां तक कि ISIS ने ऑनलाइन भी महिलाओं को बेचना शुरू किया।

उत्तरी इराक में कुर्दिश सीमा के पास एक छोटा सा गांव है, लालिश। यहाँ स्थित एक तालाब को बहुत पवित्र माना जाता है। 28 साल की नूर भी इसी मकसद से यहां पहुंची हैं।

यह गांव इतना पवित्र माना जाता है कि यहां कोई चप्पल तक नहीं पहनता, लोग घर-बाहर हर जगह नंगे पांव ही चलते हैं।

इराक में रहने वाले अल्पसंख्यक यजिद समुदाय के लिए इस गांव की बहुत अहमियत है। गांव के बीचोबीच एक गुफा के पास छोटा सा बेहद पवित्र माना जाने वाला तालाब है।

यजिदी समुदाय में चाहे बच्चे का जन्म हो, या फिर शादी या किसी की मौत, जबतक लालिश की मिट्टी के साथ इस तालाब के पानी को मिलाकर रस्म नहीं निभाई जाती तबतक कोई काम पूरा नहीं होता।

कई पीढ़ियों से यह सिलसिला बदस्तूर चला आ रहा था, लेकिन अब इस गांव में एक अजीब किस्म का मार्मिक सन्नाटा पसरा रहता है। इस्लामिक स्टेट (ISIS) के चंगुल से बचकर आईं डरी-सहमी और कांपती लड़कियों, युवतियों और महिलाओं जब-तब यहां दिख जाती हैं।.

देखें वीडियो :-

https://www.youtube.com/watch?v=uTgzeADTV3g

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