
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव पार्टी में भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में जानवरों के कत्लखानों को बंद करने की घोषणा की है, लेकिन इस घोषणा मात्र ही मोदी सरकार की असलियत बयान करने के लिए काफी है।
गुलाबी क्रांति का विरोध करने वाले नरेंद्र मोदी ने मीट कारोबार पर लगाम लगाए जाने की बजाय इसको पहले से अधिक बढ़ावा दिया है। इसकी पुष्टि इसी बात से हो जाती है कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से देश में मीट का उत्पादन और निर्यात दोनों ही काफी तेजी से बढ़ा है। इसमें करीब बीस फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मीट निर्यात करने वाले शीर्ष देशों में भारत की प्रमुख भागीदारी है। जाहिर है भाजपा के किसान और पशुधन की रक्षा के नाम पर कत्लखानों के बंद करने के वादे सिर्फ चुनाव जुमला ही साबित होंगे।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने यह घोषणा पत्र पेश करते समय कहा था कि यदि उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो पशुधन की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। इसके लिए पशुओं के कत्लखानों को बंद किया जाएगा। इससे पशुधन में इजाफा होगा और किसानों की समृद्धि बढ़ेगी। दूध का कारोबार भी बढ़ेगा। इसके लिए डेयरियों के विस्तार पर बल दिया जा रहा है। बीजेपी के इस दावे की हकीकत इससे उलट ही दिख रही है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद नए कत्लखानों को खोलने के लिए सब्सिडी भी दी गई है। सरकार ने नए कत्लखाने स्थापित करने व पुरानों के आधुनिकीकरण के लिए अपने पहले बजट में 15 करोड़ की सब्सिडी का प्रावधान किया था। गत वर्ष भारत ने 4.8 अरब डालर की विदेशी मुद्रा अर्जित की, जिसमें लगातार बढ़ोतरी हुई है।
चार बड़े मीट निर्यातक हैं हिंदू
माना जाता है कि मांस का व्यापार गैरहिंदू विशेषकर मुसलमान करते हैं लेकिन सच इससे उलट यह हैं कि देश के सबसे बड़े चार मांस निर्यातक हिंदू ही हैं। जिसमें अल कबीर एक्सपोर्ट (सतीश और अतुल सभरवाल), अरेबियन एक्सपोर्ट (सुनील करन), एमकेआर फ्रोजन फूड्स (मदन एबट) व पीएमएल इंडस्ट्रीज (एएस बिंद्रा) शामिल हैं।
मीट निर्यात में अव्वल है भारत
2014-15 में मांस निर्यात से होने वाली आय में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई। यह बीस फीसदी के करीब पहुंच चुकी है। 2014-15 में भारत ने 24 लाख टन मांस दूसरे देशों में भेजा । जो दुनिया में निर्यात किए जाने वाले मांस का 58.7 फीसदी है। विश्व के 65 देशों को मीट निर्यात किया जाता है। सबसे ज्यादा मीट यानी 80 फीसदी एशिया व बाकी अफ्रीका को भेजा गया।