
न्यूयॉर्क। भारतीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को यहां कहा कि बैंकिंग सेक्टर में गैर निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) की समस्या को सुलझाने के लिए बैंक नुकसान को पचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि एनपीए की समस्या सुलझाना सरकार की एक शीर्ष प्राथमिकता है। जेटली ने विदेश संबंध परिषद में कहा कि वृद्धि के लिए उपायों के सफल क्रियान्वयन के बाद बैंकिंग सेक्टर में एनपीए एक बड़ी चुनौती है, जो भारत में निवेश पर बुरा असर डाल रहा है। उन्होंने कहा, “यह एक ऐसी बाधा है, जिससे हमें पार करने की जरूरत है।”
जेटली ने कहा कि इस समस्या को सुलझाने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं और इसमें बैंकों द्वारा नुकसान को पचा जाना शामिल हो सकता है, उचित वाणिज्यिक विचार पर आधारित हो सकता है।
वित्तमंत्री ने कहा कि एनपीए की समस्या सुलझाने के लिए कई कदम कतार में हैं। उन्होंने कहा, “महत्वपूर्ण यह कि इसका अर्थ यह होगा कि दिवालिया कंपनियों को साझेदार मिलेंगे, उनके प्रबंधन में बदलाव होगा, उन्हें निवेशक मिलेंगे।”
जेटली ने कहा कि कुल मिलाकर यह मुद्दा 20-30 बड़े खातों तक सीमित है और यह समस्या सैकड़ों या हजारों खातों तक नहीं फैली हुई है, और भारतीय अर्थव्यवस्था के आकार के कारण एनपीए से निपटना संभव है।
जेटली ने एनपीए की समस्या सुलझाने में बाधक कारणों में एक कारण उदारीकरण पूर्व के 1990 के दशक के दौर के भ्रष्टाचार रोधी कानून को बताया। उन्होंने कहा, “कानून में एक मूल गड़बड़ी त्रुटिपूर्ण निर्णय प्रक्रिया रही है।” और इसने एनपीए से निपटने में बैंकिंग नौकरशाही को बचाव के मुद्रा में ला दिया है।
जेटली ने कहा कि संसद की एक समिति ने कानून में बदलाव को मंजूरी दी है, ताकि नौकरशाह वाणिज्यिक विचारों पर निर्णय ले सकें। वित्तमंत्री ने कहा कि उन्हें आशा है कि अगले सत्र में संसद में सुधारों पर चर्चा होगी।