
रिपोर्टर – भुपेन्द्र बरमण्डलिया
झाबुआ- मेघनगर 5 वर्ष पूर्व ग्राम पंचायत थी, समय बदला. समय बदलने के बाद 2016 में ग्राम पंचायत से नगर परिषद बनी , नगर परिषद बनने के पांच वर्ष बाद भी यहाँ के वार्डों में कई समस्याओं से अभी भी घिरा हुआ है. तो कुछ लोगों का कहना है कि स्थानीय पार्षदों द्वारा शासन प्रशासन की योजना का लाभ धरातल पर पहुंचा है.
वार्डों में कुछ परिवार ऐसे हैं जो रोज कमाकर जैसे तैसे अपने परिवार का पेट बमुश्किल से पालते हैं. केंद्र सरकार द्वारा कई विकास के दावे किए जाते हैं। लेकिन हकीकत कुछ और ही नजर आ रही है. सरकार द्वारा जिले को पूर्ण तरह ओ डी एफ घोषित करना, प्रत्येक घरों तक उज्जवला योजना, लाभ गैस कनेक्शन देना एवं प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ देने के कई दावे किए जाते है लेकिन वास्तविकता में जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
गंदी नालियों से पटा घर आंगन का ओटला, टूटे-फूटे उजड़े हुए घर जो बस चीख -चीख कर एक ही आवाज लगा रहे हैं कि हमें कोई छत मुहैया करा दें, इस कड़कती धूप से बचाकर हमें कोई छाव का एहसास करा दे, कोई सरकारी मदद कड़कती ठंड से थोड़ी सी गर्माहट की राहत दे सके, सावन की भिगोने वाली बारिश से कोई जनप्रतिनिधि हमें गीले से उठा कर सूखे में सुला दे।