आरबीआई के दावे निकले खोखले, पीएम मोदी को ‘जीतने’ से पहले ही हराया
मुंबई: आठ नवंबर की रात हुए नोटबंदी के ऐलान के बाद सरकार को उम्मीद थी कि कालाधन पर नकेल कस जाएगी। नोटबैन की घोषणा के बाद काफी मात्रा में नकली नोट भी जब्त किए गए थे। अब खुलासा हुआ है कि आरबीआई के पास जब्त किए नकली नोटों का कोई ब्योरा ही नहीं है। इस तरह से देश में बड़ी नोटें बंद कर जीतने निकले प्रधानमंत्री मोदी को जीतने से पहले ही हारते दिख रहे हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने स्वीकार किया है कि नोटबंदी के बाद से नकली नोटों की संख्या का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता अनिल वी.गलगली ने एक आरटीआई दाखिल कर इसकी जानकारी मांगी।
आरबीआई के मुद्रा प्रबंधन विभाग (जाली नोट सतर्कता प्रभाग) ने इस आरटीआई के जवाब में कहा, “अभी हमारे पास इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।”
गलगली ने आरबीआई से पूछा था कि वह आठ नवंबर से 10 दिसंबर 2016 के बीच जब्त किए गए नकली नोटों, बैंकों के नाम, तारीख आदि की जानकारी साझा करे।
आरबीआई के दावे खोखले
गलगली ने बताया, “आरबीआई ने स्पष्ट कर दिया है कि नोटबंदी के लगभग 11 सप्ताह बाद भी इस संबंध में कोई भी आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। इस तरह नकली नोटों के खिलाफ नोटबंदी को एक हथियार की तरह इस्तेमाल करने के सरकार के दावे खोखले साबित हुए।”
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि नकली नोटों की समस्या से निपटने के लिए नोटबंदी मदद करेगी।
गलगली ने कहा, “आरबीआई के जवाब से स्पष्ट है कि सरकार अपने प्रयास में असफल रही है। अब यह प्रधानमंत्री पर है कि वह देश हित में जब्त नोटों की संख्या का ऐलान करें।”