
नई दिल्ली। अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) अगले साल फरवरी-मार्च में देश के सबसे लोकप्रिय फुटबाल लीग इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) और देश के आधिकारिक लीग टूर्नामेंट आई-लीग के विलय पर विचार करेगा। एआईएफएफ पिछले कुछ समय से आईएसएल और आई-लीग का विलय कर एक नई लीग लाने पर विचार कर रहा है, जिसमें आईएसएल की सभी आठ टीमें और आई-लीग की चुनिंदा टीमों को शामिल किए जाने का प्रस्ताव है।
इसके अलावा वह आईएसएल को शीर्ष टूर्नामेंट और आई-लीग का नाम बदल कर लीग-1 कर उसे दूसरी श्रेणी का टूर्नामेंट बनाने पर भी विचार कर रहा है।
आई-लीग का अगला संस्करण जनवरी 2017 में शुरू होगा लेकिन लीग के पूर्व विजेता क्लब सलगावकर ने पहले ही इससे अपना नाम वापस लेने की बात कही है।
एआईएफएफ इस संबंध में जल्दबाजी की बजाय धैर्यपूर्वक व्यापक नीति पर काम करना चाहता है और उसका विचार 2017-18 तक नई लीग लाने का है। एआईएफएफ अपनी योजना पर बने रहना चाहती है लेकिन इसके लिए जरूरी है कि अगले साल फरवरी-मार्च तक सारे विवाद सुलझा लिए जाएं।
फीफा के क्षेत्रिय विकास अधिकारी शाहजी प्रभाकरन की किताब ‘द रूट्स’ के विमोचन के मौके पर एआईएफएफ के सचिव कुशल दास ने सोमवार को कहा, “अगर हम हितधारकों के लिए कोई अच्छी योजना नहीं लाए तो प्रस्तावित योजना 2018-19 तक पीछे खिंच सकती है।”
एआईएफएफ प्रस्तावित नई लीग में 11 टीमों को शामिल करने पर विचार कर रहा है जिसमें ईस्ट बंगाल भी शामिल है। दास ने कहा, “लीग में कितनी टीमें खेलेंगी यह अभी तय करना बाकी है।”
पटेल ने कार्यक्रम के दौरान आईएएनएस से बातचीत में कहा, “हम कोई शॉर्टकट नहीं ले सकते। हमें एक अच्छी योजना के बारे में सोचना होगा और सभी हितधारकों को ध्यान में रखना होगा। हम कदम दर कदम आगे बढ़ रहे हैं। मैं यह नहीं कह सकता कि कितने क्लब इसमें खेलेंगे।”
उन्होंने कहा, “भारतीय फुटबाल में योगदान देने वाले सभी दिग्गज क्लबों का हम सम्मान करते हैं। लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि कई नए क्लबों ने आई-लीग में हिस्सा लेने के लिए अपनी इच्छा जाहिर की है।”
फीफा के नए अध्यक्ष गिआनी इन्फैनटीनो ने हाल ही में एआईएफएफ से विलय के दौरान पारंपरिक आई-लीग क्लबों का ध्यान रखने को कहा था।
क्लबों और फ्रेंचाइजी के बीच वित्तीय असमानता, एक टीम में विदेशी खिलाड़ियों की संख्या जैसे विवादित मुद्दों के अलावा कई अन्य विवादों का एआईएफएफ को सामना करना पड़ रहा है।