संयुक्त राष्ट्र में भारत का ये बयान आतंकवाद पर गहरी चोट साबित होगा!

संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद को मानवाधिकार हनन का सबसे खराब रूप बताते हुए भारत ने इस खतरे से निपटने के संगठित अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया को रोकने का प्रयास करने वाले कुछ देशों की निंदा की।

भारत के उपस्थायी प्रतिनिधि तन्मय लाल ने यहां शुक्रवार को कहा, “आतंकवाद मानवाधिकार हनन के सबसे खराब शैलियों में से एक के रूप में उभरा है। मेरे देश में बेगुनाह लोगों को लगातार आतंकी हमलों का सामना करना पड़ा है, जो हमारी सीमाओं के पार से उत्पन्न होते हैं।”

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उन्होंने कहा, “आतंकवाद को सबसे बड़ी वैश्विक चुनौतियों में से एक के रूप में स्वीकृत किए जाने के बावजूद इस खतरे को हल करने के लिए अर्थपूर्ण सामूहिक प्रतिक्रिया को कुछ देशों द्वारा लगातार रोका जा रहा है।”

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मानवाधिकार परिषद की रिपोर्ट पर महासभा के एकर सत्र के दौरान लाल ने यह टिप्पणी की। इस रिपोर्ट का लक्ष्य 1996 में भारत द्वारा प्रस्तावित कॉम्प्रिहेन्सिव कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टेररिज्म (सीसीआईटी) को अपनाने में विश्व इकाई की विफलता को दर्शाना था।

लाल ने प्रत्यक्ष रूप से सीसीआईटी या कश्मीर पर मानवाधिकार संबंधी उच्च आयोग कार्यालय की उस रिपोर्ट का जिक्र नहीं किया, जिसकी अंतर्निहित आलोचना हुई थी।

उन्होंने कहा कि मानवाधिकार बगैर किसी जनादेश व स्पष्ट पक्षपातपूर्ण दस्तावेज के अपने आप संचालित होने वाला तंत्र है। इसके हनन से संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचती है।

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कश्मीर रिपोर्ट पर भारत की आलोचनाओं का एक आधार यह भी है कि यह रिपोर्ट बिना मानवाधिकार परिषद या संयुक्त राष्ट्र इकाई के आदेश पर तैयार की गई है। भारत ने यह भी कहा कि यह पक्षपातपूर्ण है और सूचना के असत्यापित सूत्रों पर आधारित है।

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